छब्बीस आदमी और एक लड़की : मैक्सिम गोर्की कहानी
मैक्सिम गोर्की कहानी: हम छब्बीस थे छब्बीस जीती-जागती मशीनें; गीले तहखानों में बंद, जहां हम क्रेंडल और सुशका बनाने के लिए आटा गूंधते थे। हमारे तहखाने की खिड़की नमी के कारण हरे
मैक्सिम गोर्की कहानी: हम छब्बीस थे छब्बीस जीती-जागती मशीनें; गीले तहखानों में बंद, जहां हम क्रेंडल और सुशका बनाने के लिए आटा गूंधते थे। हमारे तहखाने की खिड़की नमी के कारण हरे
Ek Pathak : Maxim Gorky Kahani रात काफी हो गयी थी जब मैं उस घर से विदा हुआ जहाँ मित्रों की एक गोष्ठी में अपनी प्रकाशित कहानियों में से एक का मैंने अभी पाठ...
मकर चुद्रा {Makar Chudra (Russian Story) } (मक्सिम गोर्की की पहली कहानी) समुद्र की ठण्डी नम हवा साहिल पर लहरों के छितराने के उदास संगीत और सूखी झाड़ियों की सरसराहट के साथ घास के...