खामोश मुहब्बत | Love Story In Hindi
Love Story In Hindi (Khamosh Muhabbat)
Love Story In Hindi:– ये सच्ची और ताजा लवस्टोरी है।
मेरा परिवार वाले मेरी शादी करना चाहते थे। मुझे इस चीज से कुछ खास मतलब नहीं था। घरवालों ने एक लड़की को देखी और उसे पसंद किया। मुझे उसकी तस्वीर दिखाई गई।
मुझे तो वह एक साधारण सी लड़की लगी। कोई खास चीज तो नज़र नहीं आई, मैंने कहा अगर आप लोगों को पसंद हैं तो ओके करदो।
सगाई हो गई। मैंने तो न कभी कॉल की और न कभी उनके घर गया। मुझे इन सब चीजों की फिक्र ही नहीं थी। मैं अपने जीवन में खुश था। अच्छा पैसा कमाता था। अपना काम था। ऊपर फ्लैट था। बाहर से खाना खाता और सो जाता।
सारा दिन नीचे काम पर बिताता था। दिल किया तो घर भी चले जाते थे हम। शादी का दिन आ गया।
मैंने घरवालों से कहा बस निकाह करा दो। और कोई रस्म व रिवाज वगैरह रहने दो … मेरे पास बस इतना ही था। एक लड़की की जिम्मेदारी उठानी है बस। उसे खाने-पीने और जो कुछ भी वह मांगती है उसे दे दो बस। मतलब शादी न भी होती तो अपना गुज़ारा हो रहा था। शादी हो भी जाए तो, फर्क तो आना नहीं था।
शादी हुई, लड़की को घर ले आए, बाकी जो रस्म व रिवाज वगैरह होती है, यह तो सब घरवालों की होती है। विदाई आदि के बाद मैं घर आ गया। जो मेरी रूटीन थी, मुझे नींद आई और मैं सो गया।
मुझे न तो खुशी थी और न ही गम। मैं अगले दिन उठा और काम पर चला गया। दो दिन ऐसे ही गुजर गए।
बातचीत उतनी ही हुई, जितना उसने पूछा मैंने जवाब दे दिया। इससे ज्यादा कुछ नहीं। उसने पूछा कि, क्या आप शादी से खुश नहीं। मैंने कहा, मुझे दुख भी नहीं है। मैं लोगों में एडजस्ट होने में समय लेता हूं बस।
ना मैंने उससे कभी उसकी शिक्षा पूछी ना कुछ और। मैंने कौन सा उनसे जॉब करवानी थी। एक-दो बार माँ के कहने पर घर छोड़ने गया। ना मैंने उसको पर्दा करने को कहा ना हिजाब का। उसको जो अच्छा लगे, कर ले। मतलब की मेरा कोई दखलअंदाजी नहीं थी।
सोचने पर वह भी मजबूर थी की, बंदा है क्या चीज?
मैं सो रहा था। उसने मेरे पैर का अंगूठा पकड़ा और मुझसे कहा कि उठो और नमाज़ पढ़ो। मैंने चारों ओर देखा। खैर, मैंने उससे कुछ कहा नहीं। वैसे कोई मुलाज़िम उठाता तो उसकी खैर ना थी। मैं बोला कुछ नहीं, मैंने सोचा। चलो अब उठ गया तो नमाज़ पढ़ लो।
दो रकअत नमाज़ अदा की और फिर बिस्तर पर। अब वह मेरे पास ही बैठ गई, कुरान पढ़ने लगी। मैं मस्त होकर सोया हुआ। आवाज तो आहिस्ता आहिस्ता अर्हि थी।
खैर मैं उठा, नहाया। नाश्ता बना दूँ! आवाज आई। मैंने कहा, नहीं, मैं नाश्ता लेट से करता हूँ। और मैं अपने काम पर।
लेट हो गया था, मैं घर नहीं गया और फ्लैट में ही सो गया। अगले दिन जब मैं घर गया, तो मेरी अम्मी ने क्लास ली, की तुम घर क्यों नहीं आए। अब तेरी शादी हो गई है। जितना मर्जी लेट हो जाए घर आना है। वह पास ही खड़ी थी। मैं अच्छा कहकर जाकर कमरे में सो गया। थोड़ी देर बाद वह भी कमरे में आ गई। मैंने उससे पूछा, अम्मी से तुमने कहा। उसने कहा, मैंने तो नहीं कहा।
अगली सुबह उसने फिर से मुझे जगा दिया। और वह खुद जाए-नमाज़ पर खड़ी नमाज़ अदा की नियत बांधी। अब बन्दा उसे क्या कहे?
खैर मैंने भी शर्मिंदगी से वज़ू करके नमाज़ पढ़ी। फिर उसने कहा आप मेरी बात सुनिए। मैंने कहा, जी कहिए। मैं आपकी बीवी हूँ? मैंने कहा हाँ जी। पत्नी के कुछ हुकूक(अधिकार) होते हैं। मैंने कहा, पता है।
उसके बाद वो कुरान पढ़ने लगी और मैं चुपचाप अपने मोबाइल पर लगा रहा।
अगली रात वह शरारतें करने लगी।जैसे तैसे मैंने उसके हुकूक अदा किए या उसने अपने हुकूक ले लिए।
धीरे-धीरे वह लड़की मेरे जीवन का अभिन्न अंग बनने लगी। खैर,अपनी भी मज़े होने लगी। उदाहरण के लिए, “सब कुछ तैयार मिलने लगी, कपड़े, जूते आदि हर चीज अपनी जगह पर मिलती चाहे कहीं भी फेंक दो।”
नमाज़ पढ़ने लगा था अब। मतलब उसके आने से अब ज़िंदगी बेहतर हुई थी और बहुत अच्छे से घुल-मिल गए थे हम।
जब वो कुरान पढ़ रही होती, तो मेरा सिर उनकी गोद में होता या उनके पैर पर।.आवाज प्यारी थी। अक्सर सो भी जाता। लेकिन जबतक मैं खुद ना उठता वह जागती नहीं, क़ुरान पढ़ती रहती। मैं अक्सर काम पर लेट जाता जाने लगा। उसकी गोद में सिर रखकर सोने का मज़ा ही अलग था।
एक दिन जब मैं घर से काम करने जा रहा था तो उसे आवाज दी और उसके सर को चूम लिया । शाम को घर आया तो रंग रूप ही बदला हुआ। मैंने ऐसा खुश बंदा देखा ही नहीं।मैंने सोचा कि यह तो काम ही बहुत सस्ता है।
अब हर रोज उसका माथा चूम कर जाता। वो कहीं भी घर के कामों में व्यस्त रहती तो वो किसी ना किसी बहाने से कमरे में आ जाती, ताकि मैं उसका माथा चूम सकूं।
नर्म लहज़ा, मीठी-मीठी बातें, कमाल की मुहब्बत, पसंद के खाने, सुकून भरी नींद, ज़िंदगी मुकम्मल हो गई।
ज़िंदगी में लोग कैसे चुपचाप प्रवेश करते हैं और आप पर शासन करना शुरू कर देते हैं, क्या साहस हमारी जो नकार कर सकें उन्हें। कई बार तो दिल निकालकर देने को भी दिल किया। खामोश मुहब्बत बहुत प्यारी होती है।
प्यार लफ़्ज़ों की नहीं एहसास की होती है…इश्क़ का ताल्लुक़ तो इज्जत से है।
ये थी अरफान की रियल लव स्टोरी।
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