छोटे बच्चों के लिए बेहतरीन कहानी | Kids story in hindi 2024
Hindi short stories with moral for kids: आज मैं आपके लिए लाया हूँ हिंदी कहानी मजेदार क्यूंकी ऐसी ही छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां पढ़ना बच्चों को अच्छा लगता है.
इस Post में मैं बच्चों की रात की कहानियां लाया हूँ ताकि आप लोगो का मनोरंजन हो सके तो चलिए शुरू करते है छोटी सी कहानी बच्चों के लिए।
Table of Contents
शिक्षाप्रद मजेदार कहानियां (Moral Kids story in hindi)
रेलगाड़ी ( Hindi kids short stories with moral )
पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी. उसे अपनी रेल-यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी।
पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए।
जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ – रेलगाड़ी दिल्ली गई, मुंबई गई, अमेरिका गई, नानी के घर गई, और दादाजी के घर भी गई।
Moral of the story – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए, कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दें।
पपीते का पेड़ और भालू (Best Short Stories in Hindi For Kids)
एक घने जंगल में बहुत बड़ा तालाब था उस तालाब का पानी बहुत मीठा था और गर्मी में भी वह पानी खत्म नहीं होता था इसलिए जंगल के सारे जानवर वह मीठा मीठा और ठंडा ठंडा पानी पीने आया करते थे।
उस तालाब के किनारे से एक बहुत बड़ा पपीते का झाड़ था उस झाड़ पर बहुत ही पीले पीले और स्वादिष्ट पपीते लगे हुए थे लेकिन वह पपीते का झाड़ बहुत ही लंबा था जिसकी वजह से उससे ज्यादा जानवर तोड़ नहीं पाते थे और लबालब पपीते उस झाड़ पर लगे हुए थे।
एक बार एक भालू उस तालाब पर पानी पीने के लिए आया और वहां पपीते के ठंडी छांव में खेलने लगा तो अचानक वहां पर पानी में एक बड़ा पका हुआ पपीता गिरा और धड़ाम से आवाज आई भालू धड़ाम आवाज सुनकर डर गया और भागने लगा।
भागते भागते उसे एक खरगोश मिला खरगोश ने पूछा कि क्या हुआ भाई भालू ने कहा भागो धड़ाम आ रहा है यह सुनकर खरोच भी उसके साथ भागने लगा.
आगे चलकर उसे एक हाथी मेरा हाथी ने कहा क्यों भाग रहे हो तो भालू ने कहा भागो धड़ाम आ रहा है भागते भागते हाथी को एक लोमड़ी मिली लोमड़ी ने कहा क्यों भाग रहे हो हाथी ने कहा भागो धड़ाम आ रहा है।
लोमड़ी भी जोर से भागने लगी भागते भागते उसे एक शेर मिला शेर ने कहा क्या हुआ मम्मी ने कहा भागो धड़ा मारा है शेर ने कहा धड़ाम मैं इतना ताकतवर हूं मेरे पास इतने ताकतवर पंजे है मैं धड़ाम से नहीं डरता बताओ धड़ाम कहां है दम निकलती है मुझे नहीं पता हाथी से पूछो।
शेर हाथी से पूछता है हाथी कहते हैं मुझे नहीं पता तुम रुक उससे पूछो खरगोश कहता है मुझे नहीं पता तुम भालू से पूछो मुझे भी उसी बताया है।
शेर भालू के पास जाता है भालू कहता है मैं तालाब के पास खेल रहा था मुझे वहां पर धड़ाम करके आवाज सुनाई दी शेयर कहता है मुझे वहां पर ले चलो।
भालू और सारे जानवर शेर के साथ तालाब पर पहुंचते हैं और वहां पहुंचते ही एक और पपीता धड़ाम से तालाब में गिर जाता है शेर कहता है अरे यह तो पपीते के गिरने की आवाज है जो धड़ाम आ रही है।
भालू कहते हैं हां आवाज होगी जिसे सुनकर मैं डर गया।
कहानी से मिलने वाली सीख: हमें किसी भी की भी सुनी सुनाई बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए जब तक के हम उस बात की अच्छी तरह छानबीन ना कर ले।
सड़क कहाँ जाती है?
भीखू हलवाई का बेटा बच्चू एकदम मनमौजी था। मन है तो काम कर लिया नहीं है तो पड़ा रहने दो……..हो जाएगा जब होना होगा।
एक दिन उसने दुकान से एक दौना भरकर जलेबियाँ लीं। वह गाँव के बाहर जानेवाली सड़क के किनारे बैठ गया और जलेबियाँ खाने लगा।
तभी वहाँ एक थका-माँदा यात्री आया। वह बच्चू से बोला, ‘भैया बड़ी दूर से चलकर आ रहा हूँ। बड़ी भूख लगी है, क्या यहाँ कुछ अच्छा खाने को मिलेगा?’
बच्चू ने उसे एक जलेबी दी और कहा, ‘ये लो भैया, जलेबी खाओ और यदि तुम्हें ज़्यादा चाहिए तो भीखू हलवाई की दुकान पर चले जाओ। सब कुछ खाने को मिलेगा।’
यात्री ने देखा कि वहाँ पर दो सड़कें थीं। उसने बच्चे से पूछा, ‘अच्छा भैया, यह बताओ कि भीखू हलवाई के यहाँ इनमें से कौन-सी सड़क जाती है?’
यह बात सुनकर जैसे बच्चू को बड़ी तसल्ली मिली। वह हँसकर बोला, ‘ए भाई, तुम तो मुझसे भी ज़्यादा आलसी निकले। मेरे बाबा हमेशा कहते थे कि मुझसे ज़्यादा आलसी इंसान हो ही नहीं सकता। लेकिन अब मैं उन्हें बताऊँगा कि उनकी बात ग़लत थी।’
यात्री को समझ में नहीं आ रहा था कि मामला क्या है। उसने तो बस रास्ता ही पूछा था न। इसमें आलसी होने की क्या बात है। ख़ैर, उसने फिर से पूछा, ‘यह सब छोड़ों और बताओ कि भीखू हलवाई की दुकान तक कौन-सी सड़क जाती है?’
बच्चू बोला, ‘ऐसा है भैया, ये दोनों ही सड़कें कहीं भी नहीं जातीं। बस यहीं पड़ी रहती हैं। हाँ, अगर कुछ खाना है तो थोड़े हाथ-पैर हिलाओ और खुद चलकर इस दाएँ हाथ वाली सड़क पर चले जाओ। सीधे दुकान पर पहुँच जाओगे। और कहीं सड़क के भरोसे रूक गए तो भैया यहीं खड़े रह जाओगे, क्योंकि ये सड़के तो महा आलसी हैं। बरसों से यही पड़ी हुई हैं।’
यह सुनना था कि यात्री का हँसी के मारे बुरा हाल हो गया। हँसते-हँसते वह दाएँ हाथ वाली सड़क पर चल दिया।
बंदर की अक्लमंदी
शहर के बहुत दूर एक छोटा सा गांव था। उस गांव में बहुत सारी बकरियां बकरियां और गाए थी। उस गांव के जंगल में एक शेर रहता था जो रोजाना वहां आकर गांव वालों की बकरी और मुर्गियों को खा जाता था।
गांव वालों में से तंग आकर शेर को पकड़ने का इरादा किया और जहां से शेर आता था उसके रास्ते में एक पिंजरा रख दिया।
रात को जब शेर गांव की तरफ बढ़ने लगा तो अंधेरे में सिर्फ मेरा दिखाई नहीं दिया और वह जाकर पिंजरे में फस गया।
उसने वहां बहुत चिल्लाया लेकिन उसकी आवाज सुनने वाला वहां पर कोई मौजूद नहीं था सुबह हुई सुबह एक ब्राह्मण वहां से गुजरने लगा तो उसे शेर दिखाई दिया शेर ने ब्राह्मण से कहा कि मैं यहां फंस गया हूं प्लीज मुझे यहां से बचा लीजिए ब्राह्मण को बेचारे शेर पर दया आ गई और उसने पिंजरा खोल कर शेर को बाहर निकाल दिया।
जैसे ही शेर पिंजरे से बाहर निकला उसने भ्रमण पर झपट्टा मारने की कोशिश की और इतने में ब्राह्मण झाड़ पर चढ़ गया। शेर झाड़ के नीचे बैठ गया ताकि ब्राह्मण विचित्र और गुस्से साले यह सब बंदर एक झाड़ पर बैठकर देख रहा था बंदर ने ब्राह्मण से कहा भाई क्या हुआ।
ब्राह्मण ने कहा कि मैंने शेर की जान छिड़ गया और उसे पिंजरे से बाहर निकाला है लेकिन अब यह मुझे भी खाना चाहता है यह सुनकर बंदर कहने लगा कि इतना बड़ा शेर इतना ताकतवर शेर इस पिंजरे में कैसे आ सकता है।
ब्राह्मण कहता है हां मेरे सामने यह पिंजरे में था इस पर बंदर कहता है कि मैं तो यह मान ही नहीं सकता इतना बड़ा शेर के पिंजरे में जा सकता है और इतनी देर तक रह सकता है. यह सुनकर शेर ने कहा हां मैं इस पिंजरे में था यू सुनकर बंदर कहता है कि नहीं यह तो मैं मान ही नहीं सकता।
अब शेर के सब्र का बांध टूट गया और उसने सोचा कि ऐसा कैसा मैं नहीं जा सकता यह देखो मैं दोबारा तुम्हें जाकर बदला तो हूं और जैसे ही दोबारा शेर पिंजरे के अंदर गया बंदर ने झट से झाड़ पर से छलांग लगाई और पिंजरे का गेट बंद कर दिया और भ्रमण से कहा जाओ जल्दी अपनी जान बचाकर भागो।
4 बच्चों की कहानियां
बिल्ली बच गई (Best Hindi story for child class 2 with moral)
ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।
दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।
नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।
खूबियाँ हैं हम सब में (Hindi Kahani for Nursery Class नर्सरी कक्षा के लिए)
जंगल का राजा शेर युद्ध की तैयारी कर रहा था। उसने जंगल के सभी जानवरों की एक सभा बुलाई। हाथी, हिरन, ख़रगोश, घोड़ा, गधा, भालू, बंदर सभी आए।
राजा शेर ने सबको उनके काम सौंपे दिए। केवल ख़रगोश और गधे को काम देना बाक़ी था। शेष जानवर बोले, ‘महाराज, आप अपनी सेना में गधा और ख़रगोश को शामिल मत कीजिए।’
‘लेकिन क्यों?’ शेर ने पूछा।
तब सभी जानवरों की ओर हाथी खड़ा हुआ और बोला, ‘महाराज, गधा इतना मूर्ख है कि वह हमारे किसी काम का नहीं है, युद्ध के समय बुद्धीमान व्यक्ति की ज़रूरत होती है।’
फिर भालू बोला, ‘और महाराज, ये ख़रगोश तो इतना डरपोक है कि मेरी परछाई से ही डरकर भाग जाता है। ऐसे डरपोक व्यक्ति का युद्ध में क्या काम?’
अब शेर बोला, ‘भाइयो, आपने गधे और ख़रगोश की कमज़ोरियाँ तो देख लीं, लेकिन क्या आपने उनकी ख़ूबियों पर ध्यान दिया?’
‘हाँ ख़ूबियाँ, देखिए गधा इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्ला सकता है कि मेरी दहाड़ भी उसके सामने हल्की लगेगी और ख़रगोश के जितना फुर्तीला क्या कोई और है? इसलिए मैं गधे को उद्घोषक बनाता हूँ और ख़रगोश को ‘संदेशवाहक’। हर किसी के अंदर कोई-न-कोई ख़ूबी ज़रूर होती है। बस ज़रूरत होती है तो उसे ढूँढ़ने की।’
बोलो – “हाँ” कि “ना”।
भाग्य फले तो सब फले | moral stories in hindi for class 10
किसी गांव में एक ज्योतिषी रहता था उसका नाम जमुना था । वह पढ़ा.लिखा बिल्कुल भी नहीं था और ना हि उसे ज्योतिषी कि हि कोई ज्ञान थी। पर ज्योतिषी के बारे में उसे थोड़ी जानकारी थी जिसका उसे काफी अभिमान था इस अभिमान के कारण ही उसका गुजर-बसर हो रही थी।
एक दिन वह अपने गांव से दूसरे गांव जा रहा था। रास्ते में उसे एक खेत में दो सफेद बैल दिखाई दिए वह काफी सुन्दर और मजबूत दिख रहा था। यह बात अब उसके मन में बैठ गई कि शायद ये बैल किसी और का है और वह किसी और कि खेत की फसल खराब कर रहा है।
अब जिस गांव में ज्योतिषी को जाना था, वह वहां एक किसान के घर ठहरा था उसी गांव का एक किसान के दो बैल खो गए थे। उसे पता चला कि एक किसान के घर ज्योतिषी आए हैं। वह किसान भागा हुआ आया और ज्योतिषी जी मेरे दो सफेद बैल खो गए हैं। तनिक अपनी ज्योतिषी विद्या से बताइए कि वे किस दिशा में गए हैं।
ज्योतिषी मन ही मन मुस्कुराया और अपनी झूठ-मूठ में उंगलियों पर कुछ गणना की, आंखें बंद कर कुछ सोचने का नाटक किया। उसके बाद बोला भैया तुम्हारे बैल पश्चिम दिशा में एक हरे भरे खेत में चरते हुए दिखेगें। तुम जाकर तुरन्त उसे लेकर आ जाओं।
किसान और कुछ गांव वाले ज्योतिषी के बताए दिशा में गए तो उन्हेें वहां बैल खेत में चरते हुए ही मिला तो पुरे गांव में ज्योतिषी का गुणगान होने लगा। किसान ने ज्योतिषी की खुब आवभगत किया और काफी दक्षिणा भी दिया।
जिस किसान के यहां ज्योतिषी ठहरे थे, उसने ज्योतिषी की ज्ञान की परिक्षा लेनी चाहि क्यों कि किसान को मालूम था कि वह उसी दिशा से आया है जिस दिशा में बैल मिली थी।
किसान ने ज्योतिषी जी से पूछा यदि आपको ज्योतिषी का ज्ञान है तो बताओं कि हमारे घर में आज कितनी रोटी बनी है। ज्योतिषी ने पहले हि टोकरी में रोटियां रखते किसान की स्त्री को देख लिया था। कुछ काम तो उन्हें था नहीं, इसलिए वक्त काटने के लिए ऐसे ही उन रोटियों को गिनती कर लिया था।
किसान के प्रश्न करते हि ज्योतिषी ने बोला कि आपके घर आज अठारह रोटी बनी है।
किसान ने पता किया तो यह बात सच निकली। अब तो ज्योतिषी की प्रसिद्धि खूब बढ़ गई। पूरे गांव में यह बात फैल गई और अब क्या था ज्योतिषी के पास बहुत ग्राहक आने लगे।
इसी बीच राजा की रानी का बहुमूल्य हार खो गया। जिन ज्योतिषी का यश फैला हुआ था, राजा ने उन्हें बुलवाया।
राजा ने ज्योतिषी से कहा मेरी रानी का बहुमूल्य हार खो गया है। अपनी ज्योतिषी विद्या से बताइए तो, रानी का हार कौन ले गया है और वह कहां है? हार मिल गया तो आपकों बहुत सारा इनाम दूंगा।
जमुना महराज सोच में पड़ गए। परेशान भी हुए। राजा ने ज्योतिषी से फिर कहां आज रात आप यही रूके और पूरी रात सोच विचार कर आप मुझे सुबह बताईए कि रानी का हार किस दिशा में और किस के पास है, पर ध्यान रहे कि अगर आप की बात गलत निकली तो तुम्हें कोल्हू में पिसवा दूंगा।
रात को भोजन कर जमुना जब बिस्तर पर लेट गए। कल सुबह क्या होगा जमुना पूरी रात यहीं सोच डर में बिता रहे थे और खुद से बाते कर रहे थे क्यों कि निंद उनकी आंखों से उड़ गई थी, नींदिया तूझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा।
निंदिया रानी कि एक दासी का भी नाम था। उसी ने रानी का हार भी चूराया था। जब ज्योतिषी के मुंह से रात को दासी ने अपनी नाम सुना तो एकदम सनन रह गई। उसे लगा कि ज्योतिषी को पता चल गया है कि हार मैंने चूराया है।
चोर के आरोप से बचने के लिए दासी ज्योतिषी जी के पास पहुंची और विनयपूर्वक बोली महराज ये लिजिए यह खोया हुआ हार। आप मेरा नाम मत लेना ज्योतिषी जी को मन मांगी जैसे मुराद मिल गई। मन हि मन खुश हुआ और निंदियां से बोला तुम इस हार को रानी के पलंग के निचे रख दो।
निंदिया ने ज्योतिषी जमुना की आज्ञा का पालन किया।
सुबहः जब दरवार लगी तो राजा ने ज्योतिषी से पूछा कि रानी का हार कहां मिलेगा। फिर ज्योतिषी ने अपनी उंगलियों पर कुछ गिनती कि और बताया कि रानी का हार उनके महल में ही, उनके पलंग के नीचे थोड़ा घ्यान से ढूंढो रानी का हार कोई नहीं चुराया है।
ढूंढा गया तो हार रानी के पलंग के नीचे हि मिला राजा बहूत खुश हुए और ज्योतिषी जमुना को बहुुत सारा ईनाम भी दिया।
डरपोक पत्थर (Moral Stories in Hindi)
बहुत पहले की बात है एक शिल्पकार मूर्ति बनाने के लिए जंगल में पत्थर ढूंढने गया। वहाँ उसको एक बहुत ही अच्छा पत्थर मिल गया। जिसको देखकर वह बहुत खुश हुआ और कहा यह मूर्ति बनाने के लिए बहुत ही सही है।
जब वह आ रहा था तो उसको एक और पत्थर मिला उसने उस पत्थर को भी अपने साथ ले लिया। घर जाकर उसने पत्थर को उठा कर अपने औजारों से उस पर कारीगरी करनी शुरू कर दिया।
औजारों की चोट जब पत्थर पर हुई तो वह पत्थर बोलने लगा की मुझको छोड़ दो इससे मुझे बहुत दर्द हो रहा है। अगर तुम मुझ पर चोट करोगे तो मै बिखर कर अलग हो जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर पर मूर्ति बना लो।
new moral stories in hindi
पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गयी। उसने पत्थर को छोड़ दिया और दूसरे पत्थर को लेकर मूर्ति बनाने लगा। वह पत्थर कुछ नहीं बोला। कुछ समय में शिल्पकार ने उस पत्थर से बहुत अच्छी भगवान की मूर्ति बना दी।
गांव के लोग मूर्ति बनने के बाद उसको लेने आये। उनने सोचा की हमें नारियल फोड़ने के लिए एक और पत्थर की जरुरत होगी। उन्होंने वहाँ रखे पहले पत्थर को भी अपने साथ ले लिया। मूर्ति को ले जाकर उन्होंने मंदिर में सजा दिया और उसके सामने उसी पत्थर को रख दिया।
अब जब भी कोई व्यक्ति मंदिर में दर्शन करने आता तो मूर्ति को फूलों से पूजा करता, दूध से स्नान कराता और उस पत्थर पर नारियल फोड़ता था। जब लोग उस पत्थर पर नारियल फोड़ते तो बहुत परेशान होता।
उसको दर्द होता और वह चिल्लाता लेकिन कोई उसकी सुनने वाला नहीं था । उस पत्थर ने मूर्ति बने पत्थर से बात करी और कहा की तुम तो बड़े मजे से हो लोग तो तुम्हारी पूजा करते है। तुमको दूध से स्नान कराते है और लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाते है।
लेकिन मेरी तो किस्मत ही ख़राब है मुझ पर लोग नारियल फोड़ कर जाते है। इस पर मूर्ति बने पत्थर ने कहा की जब शिल्पकार तुम पर कारीगरी कर रहा था यदि तुम उस समय उसको नहीं रोकते तो आज मेरी जगह तुम होते।
लेकिन तुमने आसान रास्ता चुना इसलिए अभी तुम दुःख उठा रहे हो। उस पत्थर को मूर्ति बने पत्थर की बात समझ आ गयी थी। उसने कहा की अब से मै भी कोई शिकायत नहीं करूँगा। इसके बाद लोग आकर उस पर नारियल फोड़ते।
नारियल टूटने से उस पर भी नारियल का पानी गिरता और अब लोग मूर्ति को प्रसाद का भोग लगाकर उस पत्थर पर रखने लगे।
Moral of the Story (सीख): हमें कभी भी मुश्किल परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए।
छोटे बच्चों के लिए कहानी
आँसू की बूँद
अनाज के एक गोदाम में एक चींटी इधर-उधर घूम रही थी। प्यास के मारे उसका बुरा हाल था। प्यास के मारे उसका बुरा हाल था। उसे लग रहा था कि वह पानी न मिलने के कारण मर जाएगी। तभी एक बूँद उसके ऊपर गिरी और उसकी जान बच गई।
चींटी ने ऊपर देखा। असल में यह बूँद पानी की नहीं थी। बल्कि यह एक लड़की का आँसू था, जिसने चींटी की जान बचाई थी।
चींटी ने देखा वह लड़की बहुत दुखी थी। उसके आगे अनाज का एक ढेर पड़ा हुआ था। उसमें गेहूँ और चावल के दाने मिले हुए थे। वह लड़की गेहूँ और चावल के दानों को अलग कर रही थी और रोती जा रही थी। वह रोते-रोते कह रही थी-
‘मेरी ही ग़लती से ये दोनों अनाज आपस में मिल गए हैं। कल तक अगर मैंने ये दोनों अनाज अलग नहीं किए तो मेरा मालिक मुझे बहुत मारेगा। हे भगवान, मैं क्या करूँ? अगर मैं सारी रात भी काम करूँ, तब भी कल तक ये दाने अलग नहीं कर पाऊँगी।’
चींटी ने उसकी बात सुनी। उसने तुरंत अपनी सब साथियों को बुला लिया। देखते-ही-देखते वहाँ हज़ारों चींटियाँ आ गई। आधाी चींटियाँ गेहूँ के दाने ले जा रही थीं और आधी चींटियाँ चावल के दाने उठा रही थीं। उन्होंने गेहूँ और चावल के दो ढेर बनाने शुरू कर दिए।
चींटीयों और उस लड़की ने मिलकर बहुत मेहनत से काम किया।
अगले दिन सुबह जब गोदाम का मालिक वहाँ आया तो लड़की का काम पूरा हो चुका था। उसने लड़की को माफ़ कर दिया।
इस तरह आँसू की एक बूँद ने चींटी और उस लड़की दोनों की जान बचाई।
हाथी सर्कस (नैतिक कहानियां)
एक बार सर्कस में एक बार, पाँच हाथियों ने सर्कस के करतब दिखाए। उन्हें कमजोर रस्सी से बांधकर रखा गया था कि वे आसानी से बच सकते थे, लेकिन वह वही खड़े करतब दिखते रह।
एक दिन, सर्कस में जाने वाले एक व्यक्ति ने रिंगमास्टर से पूछा: “इन हाथियों ने रस्सी क्यों नहीं तोड़ी और भाग क्यों नहीं गए?”
रिंगमास्टर ने जवाब दिया: “जब वे छोटे थे, तब से हाथी को यह विश्वास हो गया था कि वे रस्सी को तोड़ने और भागने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं थे।”
यह इस विश्वास के कारण था कि उन्होंने रस्सियों को तोड़ने की कोशिश भी नहीं की थी।
कहानी की शिक्षा: समाज की सीमाओं के हिसाब से अपने आप को ना बनाये बल्कि अपने आप पर अटूट विश्वास रखे।
Moral Stories in Hindi – खजाने की खोज
एक गांव में एक रामलाल नाम का एक किसान अपनी पत्नी और चार लड़को के साथ रहता था। रामलाल खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता था। लेकिन उसके चारो लड़के आलसी थे।
जो गांव में वैसे ही इधर उधर घूमते रहते थे। एक दिन रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा की अभी तो मै खेतों में काम कर रहा हूँ। लेकिन मेरे बाद इन लड़को का क्या होगा। इन्होने तो कभी मेहनत भी नहीं करी। ये तो कभी खेत में भी नहीं गए।
रामलाल की पत्नी ने कहा की धीरे धीरे ये भी काम करने लगेंगे। समय बीतता गया और रामलाल के लड़के कोई काम नहीं करते थे। एक बार रामलाल बहुत बीमार पड़ गया। वह काफी दिनों तक बीमार ही रहा।
उसने अपनी पत्नी को कहा की वह चारों लड़को को बुला कर लाये। उसकी पत्नी चारों लड़को को बुलाकर लायी। रामलाल ने कहा लगता है की अब मै ज्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रहूँगा। रामलाल को चिंता थी की उसके जाने के बाद उसके बेटों का क्या होगा।
इसलिए उसने कहा बेटों मैने अपने जीवन में जो भी कुछ कमाया है वह खजाना अपने खेतों के निचे दबा रखा है। मेरे बाद तुम उसमे से खजाना निकालकर आपस में बाँट लेना। यह बात सुनकर चारों लड़के खुश हो गए।
कुछ समय बाद रामलाल की मृत्यु हो गयी। रामलाल की मृत्यु के कुछ दिनों बाद उसके लड़के खेत में दबा खजाना निकालने गए। उन्होंने सुबह से लेकर शाम तक सारा खेत खोद दिया। लेकिन उनको कोई भी खजाना नज़र नहीं आया।
लड़के घर आकर अपनी माँ से बोले माँ पिताजी ने हमसे झूठ बोला था। उस खेत में हमें कोई खजाना नहीं मिला। उसकी माँ ने बताया की तुम्हारे पिताजी ने जीवन में यही घर और खेत ही कमाया है। लेकिन अब तुमने खेत खोद ही दिया है तो उसमे बीज बो दो।
इसके बाद लड़को ने बीज बोये और माँ के कहेनुसार उसमे पानी देते गए। कुछ समय बाद फसल पक कर तैयार हो गयी। जिसको बेचकर लड़कों को अच्छा मुनाफा हुआ। जिसे लेकर वह अपनी माँ के पास पहुंचे। माँ ने कहा की तुम्हारी मेहनत ही असली खजाना है यही तुम्हारे पिताजी तुमको समझाना चाहते थे।
Moral of the Story(सीख): हमें आलसीपन को छोड़कर मेहनत करना चाहिए। मेहनत ही इंसान की असली दौलत है।
Hindi Kahani for kids | बच्चों के लिए चार बेस्ट हिंदी कहानी
माँ की सीख | hindi kahani with moral
किसी शहर में एक धनी मनुष्य था। उसके यहाँ बहुत से नौकर-चाकर काम करते थे। एक महिला भी उसके यहाँ घर की साफ-सफाई का काम करने आती थी। वह महिला बहुत गरीब थी लेकिन स्वभाव की बहुत अच्छी थी।
एक दिन वह महिला बीमार हो गई और काम करने नहीं आ सकी तो उसने अपनी जगह अपने बेटे को भेज दिया।
बेटे ने भी मन लगाकर साफ-सफाई की। जब बह सब चीजों को झाड़-पोछकर रख रहा था तो उसे एक घड़ी दिखाई दी। घड़ी सोने की थी और उस पर हीरे जड़े हुए थे।
बालक के मन में लालच आ गया। उसे घड़ी पहनेन का बहुत मन था। लेकिन गरीबी के कारण उसकी माँ उसके लिए घड़ी नहीं खरीद सकती थी। घड़ी को देखकर सोचने लगा… काश मेरे पास ऐसी घड़ी होती!
उस बालक का ईमान डोलने लगा। फलस्वरूप उसके घड़ी चुराने का विचार बना लिया और घड़ी अपने नेकर की जेब में रख ली।
झटपट काम निपटा कर वह अपने घर जाने लगा।
वह वहाँ से चलने ही वाला था कि उसे माँ की कही हुई बात याद आ गई। उसकी माँ ने एक दिन कहा था- बेटा! झूठ बोलना चोरी करना – ये दो पाप सबसे बड़े हैं। इनसे सदा बचना। इनसे बचे रहोगे तो तुम्हारा कभी अपमान नहीं होगा। चोरी करोगे और झूठ बोलोगे तो पुलिस पकड़ ले जाएगा। अपराधी सिद्ध हो जाने पर दंड मिलेगा। और जेल में जाकर पत्थर फोड़ने पड़ेगें। दंड की अवधि पूरी करके आओगे तो कोई तुम पर विश्वास नहीं करेगा।
माँ ने यह भी कहा था— ’’बेटा! हमें ईश्वर दिखाई नहीं पड़ता लेकिन ईश्वर हमें देखता रहता है हर समय हमारा अच्छा या बूरा काम सब उसकी निगरानी में रहता है।’’
यह सब सोचकर बालक पछताने लगा। घड़ी उसने जहाँ से उठाई थी, वहीं रख दी और बाहर चला गया। घर का मालिक यह सब देख रहा था वह अत्यंत सज्जन और दयावान था। बालक के मन की बात मालिक ने समझ ली थी।
बीमार के कारण वह महिला अगले दिन भी काम पर नहीं आई। उसका बेटा ही सफ़ाई करने आया।
जब वह बालक काम करने जाने लगा तो घर के मालिक ने कहा–’’कल से तुम्हीं काम करने आया करो। तुम्हारी माँ बूढ़ी हो गई है। अब उसे आराम की आवश्यकता है।’’
इसके बाद मालिक ने अपनी जेब से हाथ की एक घड़ी निकाली। घड़ी लड़के को देते हुए बोला–’’यह घड़ी मै तुम्हारे लाया हूँ। इसे हाथ पर बाँधा करो। इससे तुम्हें समय का ज्ञान होता रहेगा और तुम ठीक आईम पर आया और जाया करोगें।
घड़ी लेने में बालक हिचकिचा रहा था। मालिक ने कहा– हिचकिचाओ मत, डरो मत। घड़ी का मूल्य तुम्हारे वेतन से नहीं काटूँगा।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि ’’ईमादारी और सदाचार, आदर और प्यार प्रदान करते है।‘‘
Moral Stories in Hindi – घर आये मेहमान
राहुल अपनी पत्नी सीमा और अपनी माँ के साथ रहता था। गर्मियों की छुट्टी में राहुल की बुआ, फूफा अपने लड़के सोनू के साथ उनके घर रहने आये। घर आते ही फूफा जी राहुल से बोले की यहाँ तो बहुत गर्मी है।
घर में कोई AC नहीं है क्या? राहुल की माँ ने बोला भाईसाहब अभी कुछ दिन पहले ही राहुल ने अपने कमरे में AC लगवाया है। यह सुनते ही फूफा जी अपने बेटे से बोले की सारा सामान राहुल के कमरे में ले गए। राहुल और उसकी पत्नी सीमा चुप रहे क्योंकि उनने सोचा की कुछ दिनों की तो बात है।
इस तरह बुआ, फूफा जी को राहुल के घर रहते 1 महीना हो गया। राहुल ने अपनी माँ से पूछा की बुआ जी कब जाने वाली है। हम कब तक ऐसे ही हॉल में सोकर अपना गुजारा करेंगे। राहुल की माँ बोली बेटा रिश्तेदारी का मामला है। हम कुछ कह भी तो नहीं सकते। राहुल की पत्नी सीमा बोली वह सब तो ठीक है लेकिन उनका छोटा लड़का सोनू सारा दिन घर में उधम करता रहता है।
कल तो उसने हमारा नया सोफा बुरी तरह फाड़ डाला। राहुल इस बात पर बहुत गुस्सा हुआ की नया सोफ़ा फाड़ दिया। वह अपनी पत्नी से बोला तुम सोनू को ऐसा करने से रोकती क्यों नहीं। सीमा बोली जब से बुआ, फूफा जी आये है। कुछ कुछ खाने की डिमांड करते है। जिससे मेरा और माँ जी का सारा दिन तो रसोई में ही बीत जाता है।
राहुल ने कहा की मै अभी जाकर फूफा जी से पूछता हूँ की वह आखिर कब जायेंगे। राहुल ने बातों बातों में फूफा जी से कहा की 1 महीना हो गया है। आपके जॉब की छुट्टियाँ तो खत्म हो गयी होंगी न।
फूफा जी बोले राहुल मैंने जॉब तो कब की छोड़ दी। अब तो मै बिज़नेस करता हूँ और अब मै इस शहर में भी कुछ बिज़नेस खोलने की सोच रहा हूँ। पहले इस शहर को अच्छे से समझ लूँ जिसमे 2-3 महीने तो लग ही जायेंगे।
यह सुनकर राहुल समझ गया की फूफा जी अभी जाने वाले नहीं है । उसने यह बात अपनी पत्नी और माँ को बताई। सीमा बोली जब घी सीधी ऊँगली से नहीं निकलता तो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ती है।
इनके साथ भी कुछ ऐसा ही करना होगा। आप यह काम अब मुझ पर छोड़ दीजिये। उसी रात बुआ और फूफा जी छत पर थे। तभी उनका लड़का सोनू चिल्लाता हुआ उनके पास गया और बोला की मैंने अभी एक चुड़ैल को देखा है।
तभी एक चुड़ैल वहाँ आ गयी और बुआ और फूफा जी को बोली की तुम में से कौन पहले मेरा भोजन बनना चाहेगा। चुड़ैल को देखकर वह बहुत डर गए और उस घर से भाग गए। उनके जाने के बाद सीमा ने अपना चुड़ैल का मुखौटा उतारा।
बुआ के परिवार के जाने के बाद सबने चैन की सास ली। सीमा की सास ने सीमा से कहा की तू तो बड़ी अच्छी चुड़ैल बनती है। यह कहकर सब हॅसने लगे।
Moral of the Story (कहानी से सीख): इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें किसी भी रिश्ते का ग़लत फायदा नहीं उठाना चाहिए। जिस तरह बुआ के परिवार ने अपनी रिश्तेदारी का ग़लत फायदा उठाया और दूसरों को परेशान किया।