Top 10 Moral Stories In Hindi-शीर्ष 10 नैतिक कहानियाँ
Top 10 Moral Stories In Hindi (बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी):- मैं यहाँ पर जो Hindi Stories बताने जा रहा हूँ इनको जरा ध्यान से पढ़िये और ये कहानियां जो शिक्षा/सीख देना चाहती है उसपर अमल भी करिए।
जिन कहानियों के पीछे सीख, नैतिकता या कोी संदेश होते हैं वे असलियत में बहुत शक्तिशाली होती हैं।
लघु कथाओं का मेरा पिछला पोस्ट इतना फेमस हुआ कि मैंने एक और लिस्ट बनाने का फैसला किया, जिसमें हर कहानी के पीछे एक खास शिक्षा हो।
तो इसलिए दोस्तों मैं आपके लिए आज दुनिया की 10 सबसे बेहतरीन और चुनिंदा कहानियों का कलेक्शन लेकर आया हूँ। ऐसी कहानियां जिसको पढ़कर आपके सोचने विचारने का तरीका बदल जाएगा।
और इसके साथ ही आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आएंग। हमारा आपसे वादा है कि इनको पढ़ने के बाद आप बिल्कुल भी निराश नहीं होंगे और ज़िंदगी में आगे बढ़ेंगे।
Table of Contents
बुरी संगत (Hindi short stories for class 1)
एक बार की बात है, एक गांव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। उसके चार बेटे थे, वो बुरी संगत में पड़ गए थे चारों लड़के जुआरियों के साथ रहता था।
एक दिन पिता ने उन्हें सलाह दी, उन्हें जुआरियों से मिलने के लिए मना किया। लेकिन,उस सलाह का उन पर कोई असर नहीं पड़ा।
एक दिन, शाम को बूढ़ा आदमी बाजार से एक टोकरी आम खरीद के घर ले आया। फिर उन्होंने चार सड़ा हुआ आम टोकरी में उन आमों के बीच रख दिया।
अगले दिन सुबह उन्होंने आम खाने के लिए चारों बेटे को कहा। बेटों ने आम के पास जाकर देखा अधिकांश आम सड़े हुए थे।
फिर, पिता ने उन्हें इसका कारण बताया। इस बात से चारों बेटे ने सबक सीखा फिर उन्होंने बुरी संगति छोड़ दी।
नैतिक शिक्षा : एक सड़ा हुआ आम अन्य सभी आमों को खराब कर सकता है।
एक अमीर आदमी और उसका बेटा (Moral Stories in Hindi in Short)
एक अमीर आदमी का बेटा एक कॉलेज से अपनी पढाई पूरी कर रहा था। पढाई करते वक्त पिछले कुछ महीनों से बेटा अपने पिता से एक नई कार के लिए पूछ रहा था, यह जानकर कि उसके पिता के पास पर्याप्त पैसा है।
जब उस आदमी के बेटे का कॉलेज की पढाई का आखिरी दिन आया, तब उसने अपने बेटे को पास बुलाया और उसे एक लपेटा उपहार दिया और उसे स्नातक होने और उनकी उपलब्धि के बारे में बधाई दी।
निराश होकर उस लड़के ने उस उपहार खोला और उस उपहार में एक सुंदर, चमड़े का जर्नल था। और उस जर्नल पर उस युवक का नाम सुंदर तरीके से छापा हुआ था। फिर उस युवक ने गुस्से में आवाज उठाई, जर्नल को फेंक दिया और बाहर निकल गया।
युवक ने स्नातक दिवस के बाद से अपने पिता को कभी नहीं देखा था। वह एक सुंदर घर और परिवार के साथ, अपने पिता की तरह सफल और धनवान बन गया। उसे एहसास हुआ कि उसके पिता उम्रदराज थे और उनके पीछे अतीत को रखने का समय आ सकता है।
तभी, उन्हें एक संदेश मिला कि उनके पिता गुजर चुके हैं, और उन्हें संपत्ति की देखभाल करने के लिए घर लौटना पड़ा। जैसे ही शोकाकुल पुत्र अफसोस के साथ घर लौटा, उसने अपने पिता के महत्वपूर्ण पत्रों के माध्यम से खोज शुरू की और देखा कि अभी भी वह नई जर्नल जिसे उसने उसे छोड़ा था।
फिर उसने उस जर्नल को खोला और तोह पन्नों के पीछे एक कर की चाबी निचे गिर जाती है। उस कार की चाबी को देखकर वह युवक बहुत रोता है और अपने पिता को दिए हुए दुःख के बारेमें सोचकर बहुत पछताता है।
Moral of the Story : कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या उम्मीद करते हैं, जो आपको दिया जाता है उसके लिए आभारी रहें। यह आपके विचार से अधिक आशीर्वाद हो सकता है।
मोटा मुर्गा (Class 2 Short Moral Stories in Hindi)
एक किसान के पास दो बैल थे | एक का नाम रत्ना और दूसरे का नाम पन्ना था | दोनों मिलकर किसान के लिए बहुत परिश्रम करते थे | वह उसके लिए खेत में हल चलाते और उसके खेत को जोतते थे |
वे उसकी बैलगाड़ी को खींचकर शहर के बाहर तक ले जाते थे | जब वे थक कर भूखे प्यासे घर को लौटते थे तो किसान उनको हमेशा बहुत अच्छी ताजी और हरी घास खाने के लिए देता था |
वह उनको अच्छा और ठंडा पानी भी पीने को देता था | वह दोनों बहुत संतुष्ट और खुश थे | कुछ समय के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था | फिर एक दिन किसान एक मुर्गा खरीद कर लाया |
किसान ने उस मुर्गे को भी हर प्रकार की खूब अच्छी खाने की चीजें देना शुरू कर दिया | वह उसे चना और दाना भी खिलाता था | मुर्गा इन सब चीजों को खाने में बहुत आनंद लेता था |
वह खुशी से इधर-उधर उछल कूद मचाता रहता था | किसान जो भी खाने को देता, खाता रहता | जब पन्ना बैल ने देखा कि मुर्गा तो बिना काम किए बहुत ही खुश और संतुष्ट रहता है, तब वह व्याकुल हो गया |
वह बड़बड़ाने लगा और रत्ना बैल से शिकायत करते हुए कहने लगा, “हम दोनों हर दिन हर समय कितनी मेहनत करते हैं और हमें खाने को केवल घास और भूसा मिलता है |
मुर्गा तो कुछ भी नहीं करता, वह तो बस सारा दिन खाता…..और खाता रहता है | मोटा…..और मोटा होता जा रहा है | रत्ना बैल ने मुस्कुराते हुए कहा, “किसान हमें भी अच्छी घास भूसा और ठंडा पानी खाने पीने को देता है |”
वह हमारे विश्राम के लिए साफ, मुलायम और सूखी घास बिछाता है | हमें जो कुछ मिल रहा है यदि तुम उसी में संतुष्ट रहोगे तो सदा खुश रहोगे और बहुत समय तक जी सकोगे |
तुम देख लेना है किसान अवश्य किसी कारणवश मुर्गे को मोटा कर रहा है | इन दोनों बैलों ने देखा कि किसान अपने साथी के साथ बहुत बढ़िया खाना खा रहा है परंतु मोटा मुर्गा कहीं दिखाई नहीं दे रहा है |
तब उन दोनों ने जाना कि किसान ने मोटे मुर्गे को अपने साथी के भोजन के लिए काट दिया है | यह देख पन्ना बैल समझ गया कि रत्ना बैल सही कह रहा था | उसने ठीक ही सोचा था |
सीख – हमें कभी भी किसी के सुख को देखकर दुखी नहीं होना चाहिए |
खजाने की खोज – Moral Stories in Hindi for Class 1 with pictures
एक बार की बात है, एक गांव में विजय नाम की एक बूढ़ा किसान अपनी तीनों बेटे के साथ रहता था। पिता ने अपनी तीनों बेटे को बहुत बार अपने साथ खेत में काम करने के लिए कहा।
लेकिन, वह तीनों बहुत आलसी थे। वह अपनी पिता की तरह धूप और बारिश में काम नहीं करना चाहते थे। एक दिन, किसान बीमार पड़ गया, वह मरने वाले थे।
उसने अपनी तीनों बेटे को बुलाकर कहा, “बेटे, मरने से पहले तुम तीनों को कुछ रहस्य बताना चाहता हूं। हमारी खेत में जमीन के नीचे कुछ छुपे हुए खजाना है।
यदि तुम तीनों जमीन को ठीक से खोजते हो तो तुम्हें वह खजाना मिलेगी। यह कहकर बूढ़ा किसान मर गई। लड़कों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया।
फिर, एक दिन तीनो भाई खेत में गया छुपे हुए खजाने को खोजने के लिए। वह तीनों जमीन को अच्छे से खुदाई किया। लेकिन उन्हें वह खजाना नहीं मिली, वह तीनों निराश हो गई थी।
फिर बड़े भाई अन्य तीनों भाइयों को जमीन में बीज बोने के लिए कहा। क्योंकि तीनों भाई ने जमीन को अच्छी तरह से खुदाई किए थे, फिर उन्होंने ऐसा किया।
फिर कुछ महीने बाद उन्हें अपने खेत में अच्छी फसल मिली। उन्होंने फसल काट ली और उन्हें बेचकर बहुत पैसा कमाया। अब बड़े भाई अपने दो भाइयों को कहा,
मैं समझ गया हूं, हमारी पिता को छुपे हुए खजाने से क्या मतलब था। छुपे हुए खजाने यह फसल है। जो हमें मिली केवल जमीन को अच्छी तरह से खोदकर और वहां बीज बोने के हमें यह खजाना मिली।
नैतिक शिक्षा : मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।
राजा और मकाऊ तोते (Moral Stories for childrens in Hindi)
एक बार, एक राज्य का राजा पडोसी राज्य के दौरे करने गया था। तब एक अंतिम राज्य के राजाने उसे एक सुंदर मकाओ तोते की जोड़ी दी। फिर राजा उन दिनों सुंदर तोते को लेकर अपने राज्य आ गया। और एक पक्षी को प्रशक्षित करने वाले को बुलाया।
राजा ने तोते के लिए महल के बगीचे में एक जगह की व्यवस्था की। वह अक्सर उन्हें अपने महल की खिड़की से देखता था। समय बीतने के साथ, एक दिन ट्रेनर महल में आया और उसने राजा को सूचित किया कि यद्यपि एक तोता आसमान में बड़ी ऊँची उड़ान भर रहा है, और दूसरा वह उस दिन से अपनी शाखा से नहीं बढ़ रहा था जिस दिन वह आया था।
यह सुनकर राजाने अपने राज्य के साथ पड़ोस के कई राज्य के पक्षी प्रशक्षित करने वालों को बुलाया। सबने उस एक तोते को उड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह तोता उड़ने में असफल रहा। तब राजने अपने दरबारियों से कहकर उसके राज्य के एक किसान को बुलाया।
अगली सुबह वह दूसरा तोता राजा महल के ऊपर उड़ते देख राजा बहुत खुश हुआ और उस किसान को पास बुलकर पूछा, “तुमने तोता को कैसे उडाया?” सम्मान के साथ हाथ जोड़कर किसान ने राजा से कहा, “यह बहुत आसान है, मैंने बस उस शाखा को काट दिया जहाँ तोता बैठता था। ”
Moral of the Story : हमें नए अवसरों का पता लगाने और अपनी क्षमता से परे सफलता पाने के लिए खुद को अपने आराम क्षेत्र से मुक्त करने की आवश्यकता है।
मूर्ख सेठ (Short story for Kids in Hindi)
एक मूर्ख सेठ बाजार से घोड़ा खरीद कर अपने घर वापस जा रहा था | रास्ते में दो चालाक ठग खड़े थे | दोनों ठग उस सेठ का पीछा करने लगे | थोड़ी दूर चलने के बाद सेठ ने सोचा – “दोपहर हो रही है | किसी पेड़ के नीचे आराम कर लेता हूँ |”
यह सोचकर सेठ ने घोड़े की रस्सी अपने पैर से बाँध ली और एक पेड़ के नीचे सो गया | ठगों ने देखा कि सेठ सो गया है | एक ठग ने घोड़े के गले से रस्सी खोलकर अपने गले में बाँध ली ताकि सेठ को पता ना चले | दूसरा ठग घोड़ा लेकर भाग गया |
नींद खुली तो सेठ ने देखा कि उसके घोड़े की जगह पर एक आदमी बंधा हुआ है | सेठ ने उससे पूछा – “कौन हो तुम ? मेरा घोड़ा कहाँ है ?”
ठग ने कहा – “मालिक, मैं हीं आपका घोड़ा हूँ | मैंने अपने पिता की बात नहीं मानी इसलिए मेरे पिता ने मुझे घोड़ा बना दिया था | उन्होंने कहा था कि जब तुम्हें कोई दयालु सेठ खरीद लेगा तब तू फिर इंसान बन जाएगा |
आज आपके कारन मैं इंसान बन गया हूँ | सेठ अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हुआ | उसने कहा – “ठीक है | आज मैं तुझे छोड़ देता हूँ | सीधे अपने पिता के पास जाना और अब उनका कहना मानना |”
ठग भी आराम से रस्सी खोल कर चला गया | अगले दिन सेठ फिर से बाजार गया | वहीं घोड़ा फिर बिकने के लिए खड़ा था | सेठ को बहुत गुस्सा आया |
वह उस घोड़े के पास गया और बोला – “घोड़े ! तूने फिर अपने पिता का कहना नहीं माना, बना रह घोडा | अबकी बार मैं तुझे नहीं खरीदूँगा |”
तभी सेठ को वह ठग दिखाई दिया जो उसे कल मिला था | सेठ ने ठग को पहचान लिया | सेठ बोला – तू तो कल कह रहा था कि तेरे पिता ने तुझे घोड़ा बना दिया था |
मेरे कारण तू इंसान बन गया फिर यह घोड़ा कहाँ से आ गया ? तूने झूठ बोलकर मुझे बेवकूफ बनाया है | ठग ने चापलूसी करते हुए कहा – “नहीं, दयालु मालिक | आप जैसे होशियार इंसान को कौन बेवकूफ बना सकता है ?”
यह घोड़ा तो मेरा भाई है | मेरे पिता ने इसे भी घोड़ा बना दिया है | इसे खरीद कर इसे भी इंसान बना दीजिए | मुर्ख सेठ ने फिर से वहीं घोड़ा खरीद लिया और अपने घर की तरफ चल दिया |
सीख – मूर्ख व्यक्ति लोगों को पहचान नहीं पाता और अपनी झूठी प्रशंसा पर मूर्ख बनता रहता है |
सुंदर फूल (Moral Stories in Hindi for Kids)
एक बार की बात है, एक लड़की था जिसे बागबानी का बहुत शौक था। वह फूलों से प्यार करती थी और अपने घर के बाहर एक सुंदर बगीचा बना रखी थी।
एक दिन, नए फूलों की तलाश में, उसे एक बहुत सुंदर फूल मिला। उसने इसे अपने बगीचे में लगाना चाहती थी। इसीलिए, लड़की ने उसकी बीज लेकर घर आया।
जब यह आया, तो वह अपने घर के पीछे, वहां उसने दीवार के आधार पर लगाया। फिर कुछ दिन बाद, पूरी दीवार पर सुंदर पत्तियों के साथ पौधे बड़े हो गए। लेकिन, एक भी फूल नहीं थे।
बस उस खूबसूरत फूल को देखने के लिए। बह रोज उसमें पानी डालता गया और उसकी बहुत देखभाल की। फिर भी, दीवार पर उन पत्तियों के बीच एक भी फूल नहीं था।
एक महीने बीत गए, लेकिन अभी भी फूल नहीं खिले। फिर, उसने निराश होकर उस पौधे को काटने के बारे में सोचा। तभी उनके पड़ोसी ने उसके दीवार के पीछे से बुलाया।
वह हैरान थी। क्योंकि, उसने कभी एक दूसरे से ज्यादा बात नहीं की थी। उसके पड़ोसी ने कहा, “धन्यवाद! इतने खूबसूरत फूल लगाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
आप सोच नहीं सकते, मुझे उन फूलों को देखकर कितना खुशी महसूस होता है। वास्तव में यह फूल बहुत ही सुंदर है।” उसकी बात सुनकर लड़की पड़ोसी के घर के पीछे चली गई।
और अपने दीवार को पड़ोसी की ओर से देखा। उसने देखा, दीवार फूलों से भरी थी। वे सबसे सुंदर फूल थे, जिन्हें उसने कभी नहीं देखा था।
उसने देखा की लताएं दीवार से गुजरती है। और उसकी दीवार की तरफ पौधे में कोई भी फूल नहीं था। लेकिन, दीवार की दूसरी तरफ फूलों से भरी हुई थी।
नैतिक शिक्षा : आप अपने श्रम के अच्छा परिणाम नहीं देख सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि कोई फल नहीं है।
किसान और साँप (Bedtime Stories In Hindi PDF)
एक बार, एक किसान सुबह-सुबह सर्द के मौसम में अपने खेत से गुजर रहा था। फिर उसने एक साप को देखा जो कड़ी ठंड के कारण जमा हुआ था और मरने के कगार पर था। तब उस किसान को उस साप पर दया आ गयी।
किसान जानता था कि साँप कितना घातक हो सकता है, और फिर भी उसने उसे उठाया और उसे जीवन में वापस लाने के लिए उसे अपनी छाती में गर्मी देने के लिए डाल लिया। जब सांप को पुनर्जीवित हो गया तब उसने उस मदद करने वाले ही किसान को काट लिया।
किसान को पता था के अब वह मरने वाला है। जैसा कि उसने अपनी आखिरी सांस ली, तब उसने आसपास खड़े लोगों से कहा, “मेरी किस्मत से सीखो कि एक बदमाश पर दया न करें”।
Moral of the Story : कुछ ऐसे होते हैं जो अपने स्वभाव को कभी नहीं बदलते हैं, फिर चाहे हम उनके साथ कितना भी अच्छा व्यवहार करें। हमेशा सतर्क रहें और उन लोगों से दूरी बनाए रखें जो केवल अपने फायदे के बारे में सोचते हैं।
बुद्धि का चमत्कार (Moral Stories in Hindi For Class 5th)
बहुत पुरानी बात है | हिमालय के दक्षिण में एक छोटा सा गाँव था | जिसमें प्रखर बुद्धि नामक एक व्यक्ति रहता था | एक दिन वह जंगल में लकड़ियाँ चुनने गया |
जब वह लकड़ियाँ चुनकर लौट रहा था तो रास्ते में उसे पेड़ के नीचे एक शेर घायल अवस्था में पड़ा हुआ नजर आया | निकट जाकर उसने देखा कि शेर की पीठ में एक तीर घुसा हुआ था |
वह दर्द से बुरी तरह तड़प रहा था | प्रखर बुद्धि ने शेर की पीठ पर तीर निकाल कर उसके जख्मों पर जड़ी बूटियों का लेप लगा दिया | थोड़ी देर में हीं शेर को कुछ राहत मिल गई |
प्रखर बुद्धि ने उसे प्यार से थपथपाया | शेर एक अजनबी आदमी से स्नेह पाकर प्रसन्न हो गया | वह समझ गया कि इस आदमी से उसे कोई नुकसान नहीं होगा |
प्रखर बुद्धि शेर को उठाकर गाँव में ले आया और अपने घर में रख कर उसकी देखभाल करने लगा | कुछ हीं दिनों में सिर पूर्णतया स्वस्थ हो गया |
वह प्रखर बुद्धि के घर का सदस्य बन गया | प्रखर बुद्धि भी उसका ख्याल रखता था | लेकिन कुछ समय बाद उसके सामने शेर की खुराक को लेकर एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई क्योंकि शेर की खुराक ज्यादा थी |
प्रखर बुद्धि के पास इतनी दौलत न थी कि वह शेर को मांस और नए – नए शिकार लाकर खिला सके | अब तक शेर को खिलाते खिलाते उसने अपनी काफी संपत्ति फूंक डाली थी |
यह तो शेर के प्रति उसका स्नेह था कि अब तक वह उसे पाले हुए था | मगर उसकी इतनी हैसियत न थी कि इतना खर्च वहन कर सके | अतः प्रखर बुद्धि ने निश्चय किया कि शेर को राजा के महल में छोड़ आएगा |
एक दिन वह शेर के गले में रस्सी बांधकर ले जाने लगा, मगर शेर टस से मस नहीं हुआ | शेर समझ गया कि प्रखर बुद्धि उसे कहीं ले जा रहा है | वह उसका घर छोड़कर जाना नहीं चाहता था |
अब प्रखर बुद्धि सोच में पड़ गया कि क्या करें ? जल्द हीं एक उपाय उसके दिमाग में आ गया | वह गाँव से एक बकरी खरीद लाया | बकरी को देखकर शेर के मुंह में पानी आ गया |
अब प्रखर बुद्धि बकरी को लेकर बाहर निकला तो लालच में शेर भी पीछे-पीछे बाहर निकल आया | आगे जाकर बकरी ठिठक गई | उसे आगे चलाने के लिए प्रखर बुद्धि घास का गट्ठर लाया |
घास के लालच में बकरी आगे बढ़ने लगी और बकरी खाने के लालच में फिर शेर भी आगे बढ़ने लगा | रास्ते में एक नदी आ गई | नदी के तट पर काफी नजर दौड़ाने पर उसे एक पुरानी और छोटी नाव मिली |
लेकिन उस में बैठकर एक बार दो हीं लोग नदी पार कर सकते थे | प्रखर बुद्धि परेशान था कि किस को किनारे पर छोड़े और किसे साथ में रखें |
बकरी शेर और घास के गट्ठर को किस तरह से सुरक्षित नदी पार करवाई जाए | काफी सोचने के बाद अचानक उसे एक उपाय सूझा | उसने सबसे पहले बकरी को नाव पर बैठाया और उस पर चल दिया |
किनारे पर घास और शेर को छोड़ दिया क्योंकि शेर घास नहीं खाता | दूसरे किनारे पहुँचकर बकरी को एक पेड़ से बांधकर खाली नाव लेकर वापस उसी तट पर पहुँचा |
अब उसने शेर को नाव में बैठाया और उस पार ले आया | शेर को उस पर छोड़कर बकरी को वापस अपने साथ ले आया | अब वह बकरी को उस किनारे पर छोड़कर घास के गट्ठर को लेकर उस पार पहुँचा |
घास के गट्ठर को शेर के पास छोड़ कर वापस पहले किनारे लौटकर बकरी को भी ले आया | अब निश्चिंत होकर राजा के महल की ओर चल पड़ा |
राजमहल पहुंचकर प्रखर बुद्धि ने शेर को राज्य सैनिकों को सुपुर्द कर दिया | इस प्रकार प्रखर बुद्धि ने अपनी बुद्धि के बल पर एक बड़ी समस्या से छुटकारा पाया |
सीख – बुद्धि से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है |
एक बुद्धिमान हंस (Moral Stories in Hindi for Class 7)
एक बहुत बड़ा विशाल पेड़ था। उस पेड़ पर बहुत सारे हंस रहते थे। उनमें एक बहुत सयाना हंस था, बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी। सब उसका आदर करते ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे।
एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा, देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी।
एक युवा हंस से हंसते हुए बोला, ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी?
सयाने हंस ने समझाया, आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही है। धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से लपट जाएगा, ऐसे में पेड़ पर चढ़ने के लिए नीचे से ऊपर तक सीढ़ी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुंच जाएगा और हम सभी मारे जाएंगे।
दूसरे हंस को यकीन न आया, एक छोटी-सी बेल कैसे सीढ़ी बनेगी?
तीसरा हंस बोला, ताऊ, तू तो एक छोटी-सी बेल को खींचकर ज्यादा ही लंबा कर रहा है।
एक हंस बड़बड़ाया और बोला- यह ताऊ अपनी अक्ल का रौब डालने के लिए अंट-शंट कहानी बना रहा है।
इस प्रकार किसी दूसरे हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया। इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल ही कहां थी?
समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखाओं तक पहुंच गई। बेल का तना मोटा होना शुरू हुआ और सचमुच ही पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गई। जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था। सबको ताऊ की बात की सच्चाई सामने नजर आने लगी। पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी।
एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिया उधर आ निकला। पेड़ पर बनी सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढ़कर जाल बिछाया और चला गया। अंधेरा होते ही को सारे हंस लौट आए और जब पेड़ से उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए।
जब वे जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे, तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था।
एक हंस ने हिम्मत करके कहा, ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो।
दूसरा हंस बोला, इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे। सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया, मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकालकर जमीन पर रखता जाएगा। वहां पर तुम सभी मरे के समान पड़े रहना| जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना।
सुबह बहेलिया आया। हंसों ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था।
सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड़ गए। बहेलिया चुपचाप होकर देखता रह गया।
शिक्षा/Moral:- बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए और साथ ही अपने से सयानों की बात पर एक बार जरुर गोर करना चाहिए। (1)
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