परदेसी का सवाल- तेनालीराम की कहानी | Tenali Raman Story In Hindi

तेनालीराम की कहानी: एक बार राजा कृष्ण देव राय की सभा में एक परदेशी आया और राजा एवं सभा में मौजूद सभी से एक सवाल पूछने की आज्ञा मांगी और साथ ही जवाब देने वाले को उपहार में एक हीरो का हार देने को कहां।

राजा- पूछिए क्या सवाल है?

परदेशी- आपके राज्य में सबसे मूल्यवान चीज क्या है?

एक ने जवाब दिया “राज्य का खजाना”।

दूसरे ने जवाब दिया “हीरो से जड़ा राजा का मुकुट”।

तो कोई कहता है “सेना”।

राजा (तेनाली राम की तरफ देख कर):- तेनाली आपका जवाब क्या है?

तेनाली- महाराज किसी भी राज्य की सबसे मूल्यवान चीज है लोगों की आजादी।

परदेशी- आजादी वो कैसे? आप इसे कैसे सिद्ध करेंगे?

तेनाली- मुझे थोड़ा समय दीजिए मैं इसे सिद्ध कर दूंगा।

Tenali Rama Story In Hindi

महाराज- तो ठीक है जब तक तेनाली रामा इसे सिद्ध नहीं करते परदेशी यहां के महमान है। राजा ने परदेशी के रहने, खाने-पीने की सुविधा की देख-रेख तेनाली रामा को सौंप दिया।

परदेशी को महल में सारी सुविधाएं दी गई शाही-भोजन, नित्य और संगीत आदि सुविधाओं से परदेशी महल में काफी खुश था। एक दिन उसका मन नदी किनारे टहलने का हुआ। जब वह अपने कक्ष से बाहर निकलता है, तो द्वारपाल उसका रास्ता रोक लेते है और कहते है, “क्षमा करे महाशय आपको बाहर जाने की अनुमति नहीं है”।

परदेशी को लगा यह सब मेरी सुरक्षा के लिए है और वापस अपने कक्ष में चला जाता है। लेकिन यह रोक-थाम परदेशी के साथ प्रति-दिन होने लगी किंतु महल के अंदर सुविधाओं में उसे कोई कमी नहीं आने दी। वह महल के अंदर कैद हो गया था। जिस कारण सभी सुविधाएं उसे फीकी लगने लगी।

दस दिन के बाद सभा फिर लगी तेनाली ने महाराज से परदेशी को सभा में बुलाने की आज्ञा मांगी। परदेशी सभा में पहुंचता है।

राजा(परदेशी से)- क्या आपको महल की सुख सुविधाएं अच्छी लगी?

परदेशी- महाराज सुविधाएं तो भरपूर थी किंतु मैं निरंतर उनका लुप्त न उठा सका। मुझे बाहर घूमने-फिरने की सुविधा नहीं दी गई मुझे ऐसा प्रतीत हुआ मानों किसी ने मेरी आजादी मुझ से छीन ली हो।

चूंकि महाराज ने परदेशी की देख-भाल का जिम्मा तेनाली रामा को दिया था, तो वे तेनाली पर बहुत गुस्सा हुए।

तेनालीराम- महाराज क्षमा करें किन्तु मैं परदेशी को बताना चाहता था, की आजादी से मूल्यवान कुछ भी नहीं। इनके पास सारे असो-आराम होते हुए भी ये उनका निरंतर लुप्त न उठा सके क्योंकि इनके पास इनकी आजादी नहीं थी।

परदेशी को अपने सवाल का जवाब मिल चुका था। उसने खुश होकर तेनाली रामा को हीरो का हार उपहार में दिया। राजा कृष्ण देव राय और सभा में मौजूद सभी तेनाली की चतुराई पर तालिया बजाने लगे।

शिक्षा:- आजादी एक ऐसा मूल्यवान शब्द है जो हमारी अंधेरी दुनिया में एक प्रकाश का उजाला लेकर आता है।

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