Top 91 Short Story In Hindi For Kids | नैतिक कहानियाँ

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Short Story In Hindi:- यह बात हम अच्छे से जानते है कि हम जैसा देखते है और सुनते है वैसा हम सोचने लगते है। हमारे सोच और विचार ही हमारे व्यवहार में झलक्ते है। अगर हम अच्छी बातें सुनेंगे और अच्छी चीज़े देखेंगे तो हमारे विचारों में परिवर्तन आएगा और हम अच्छे इंसान बनेंगे।

यही बातें बच्चों के साथ भी है। बच्चों का दिमाग तेज़ होता है। बच्चें अपने आसपास की चीज़ो को बारीकी से देखते है और उन्हें सीखते है। यहीं ऐसी वजह है की बच्चों को समय रहते अच्छे विचार और अच्छे व्यवहार सिखाए।

इसके लिए हम कहानियों की सहायता लें सकते है। कहानियाँ बच्चों के लिए रोचक और लुभावनी होती है। बच्चें कहानियों को ध्यान से सुनते है और बताई हुई बातों को ज़ल्द अपनाते है।

तो आज ऐसी ही सीखने वाली कुछ लघु कहानियाँ आप सबके सामने पेश कर रहा हूँ। आपको पढ़कर जरूर मज़ा आएगा।

Table of Contents

1. चतुर खरगोश और भोली बकरी A short story in hindi with moral

चतुर खरगोश और भोली बकरी A short story in hindi with moral

 एक बार एक खरगोश किसी दुर्घटना के कारण एक कुएँ में गिर गई। वह कुएँ से निकलने का अथक प्रयास करने लगी पर निकल नहीं पाई। तभी वहां से एक बकरी गुजरी। बकरी ने खरगोश को कुँए में देखकर पुछा- कुएँ में तुम क्या कर रही हो ?  बड़ी चालाकी से खरगोश ने उत्तर दिया –तुम्हें पता नहीं हैं? भारी मात्रा में सुखा पड़ने वाला है। अत: देव दूत कहा है, इसलिए मैं  देखने आई हूँ,  मेरे लायक पानी है या नहीं  मेरी बात मानो  तो  तुम भी नीचे आ जाओं। 

short stories in Hindi for class 7 with moral

खरगोश की बात पर विचार कर बकरी तुरंत कुएं में कूद गई। जैसे ही बकरी कुएँ में गिरी,खरगोश उसकी पीठ पर चढ़ गई, फिर  सींघों पर पैर रखकर कुएँ की दीवार पर चढ़  गया और  बाहर निकलने में सफल  हो गया । बाहर निकलकर बकरी से कहा –  याद रखना दोस्त “ये सबक – अलविदा !”

Short Moral of story: इस कहानी की  शिक्षा :- जो करे धर्म उसका फूटे: करम चतुर खरगोश की इस कहानी से सीख मिलती है कि मुसीबत में फंसे हुए की सलाह बिना सोचें समझे  कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। बिना सोचे विचारे कार्य किये सो बाद में पस्चताप करता ( जब चिड़िया चुग गई खेत )  किसी इंसान हो या जानवर अपने स्वार्थ के लिए दूसरे जीव को कष्ट में नहीं डालना चाहिए। 

2. लालची कुत्ता (short stories in hindi for kids)

2. लालची कुत्ता (short stories in hindi for kids)

छोटा सा कुत्ता था वह बहुत भूख से व्याकुल था। घूमते घूमते हैं उसे एक हड्डी मिली। जिसे देखकर बहुत खुश हुआ और लेकर चल दिया।रास्ते में आते हुए उसे एक तालाब मिला जिसमें उसकी परछाई दिखाई दे रही थी। पर उसे यह बात नहीं समझ में आई।

उसे लगा कि एक हड्डी और नीचे है। उसको उठाने के चक्कर में अपना मुंह खोला और उसके मुंह के हड्डी पानी में गिर गई। यह देखकर वह बहुत दुखी हुआ। इसीलिए कहते हैं लालच बुरी बला है।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- लालच बुरी बला है। हमें लालच नहीं करना चाहिए।

3. फूटा घड़ा (Very short story in hindi)

3. फूटा घड़ा (Very short story in hindi)

एक गांव में श्याम नाम का किसान रहता था उसका छोटा सा खेत था।उसके पास दो मिट्टी के घड़े थे। जिससे वहां रोज अपने घर के लिए पानी लाता था। लेकिन उनमें से एक घड़ा फूट चुका था। जिससे नदी से पानी लाने पर एक घड़ा भरा रहता था और दूसरा घड़ा आधा खाली हो जाता था।

फूटा घड़ा बहुत ही शर्मिंदा रहता था। कि वह आधा पानी ही घर पहुंचा पता है। सही घड़े को इस बात का बहुत घमंड था। कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुंचाता है। सही खड़ा फूटे घड़े से कहता है तुम मालिक की मेहनत बर्बाद करते हो।

यह सुनकर फुटा घड़ा बहुत दुखी होता है। इस तरह दोनों घड़े की बातें सुनकर श्याम कहता है। कि तुम सिर्फ अपनी बुराई देख रहे हो पर मैं उस बुराई के साथ-साथ तुम्हारी अच्छाई भी देख रहा हूं। इसीलिए मुझे तुम्हारे अंदर कोई कमी दिखाई नहीं दी और तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम हमारे किसी काम के नहीं हो। जाने अनजाने में तुमने हमारी बहुत मदद की है।

घड़ा बोला वह कैसे श्याम कहता है नदी से जब हर रोज घर वापस आते हैं। तो तुम्हारा पानी वहां लगे फुल पर गिरता है जिससे उन्हें फूलने में काफी मदद मिलती है।घड़ा बोला इन सब में आपकी मदद कैसे हुई। श्याम बोला मैं खेती के साथ-साथ उन फूलों को भी बाजार में बेचता हूं जिससे हमें धन मिलता है। और यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है इसलिए तुम अपने आप को कभी कम मत समझना।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- –  हमें किसी के हुनर का कभी मजाक नहीं बनाना चाहिए। बल्कि उसकी अच्छाई को ढूंढ कर उसे निखारने में मदद करनी चाहिए।

4. मां की सीख (kids short story in hindi)

4. मां की सीख (kids short story in hindi)

चेतन अपनी मां के साथ बहुत अच्छे घर में रहता था। वह बहुत अच्छा लड़का था वह अपनी मां की बात मानता था। चेतन की मां बहुत अच्छे पकवान बनाती थी। चेतन को पकवान खाना बहुत पसंद था। एक दिन चेतन की मां ने बहुत बढ़िया पकवान बनाकर 1 बड़े जार में रख दिया।

और फिर बाजार चली गई बाजार जाने से पहले चेतन की मां चेतन से बोल कर गई थी। कि वह अपना गृह कार्य समाप्त करने के बाद वह यह पकवान खा सकता है। चेतन बहुत खुश हुआ वह जल्दी से अपना गृह कार्य समाप्त करके अपनी मां के लौटने से पहले ही पकवान खाना चाहा। वह जार के अंदर हाथ डाल कर ढेर सारे पकवान निकालना चाहा।

पर जार का मुंह छोटा होने के कारण वह अपना हाथ बाहर नहीं निकल सका। उसी समय उसकी मां बाजार से लौट आई। चेतन की मां ने जब चेतन को देखा तो बहुत हंसी और चेतन से बोला तुम एक या दो पकवान पकड़ कर हाथ बाहर निकालो। 

मां की बात मान कर वह दो पकवान पकड़ कर हाथ को बाहर निकाला तो वह आसानी से निकाल पाया। तब उसकी मां ने समझाया कि ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए।जितनी जरूरत हो उतनी ही चीजें लेनी चाहिए।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:-– हमें लालच नहीं करना चाहिए आवश्यकता से अधिक लेने के लिए जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

5. चींटी और कबूतर (moral short story in hindi)

5. चींटी और कबूतर (moral short story in hindi)

एक समय की बात है एक चींटी पेड़ पर से तालाब में गिर गई। एक कबूतर ने उसे अपना जीवन बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत करके देखा। कबूतर तुरंत एक पत्ता तोड़ा और चींटी के पास फेंक दिया।चींटी झट से पट्टे पर चढ़ गई और तोते को धन्यवाद किया।

कुछ सप्ताह बाद बहेलियां जंगल में आया बहेलियां का काम होता ही है पक्षियों को पकड़ना। उसने कुछ दाने जमीन पर फेंके और अपना जाल बिछा दिया। वह चुपचाप किसी पक्षी को फसने का इंतजार कर रहा था। वही चींटी वहीं कहीं से गुजर रही थी तो उसने यह तैयारी देखी। फिर देखती है कि वही कबूतर जो उसकी जान बचाया था।

उसी जाल में फंसने के लिए धीरे-धीरे नीचे उतर रहा है। चिट्ठी जल्दी-जल्दी आगे बढ़ बहेलिए के पैर पर जोर से काट दिया। जिससे बहेलिया के मुंह से चीख निकल गई। और कबूतर उसकी आवाज सुनकर सब कुछ समझ गया। और कबूतर दूसरी ओर उड़ गया जिससे उसकी जान बच गई। और चिटी अपने काम पर चल दी। तभी तो कहते हैं कर भला तो हो भला।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:-– अगर आप किसी का भला करेंगे तो आपका भी भला होगा।

6. धोखेबाज भेड़िया और सारस (short stories in hindi with moral values)

6. धोखेबाज भेड़िया और सारस (short stories in hindi with moral values)

एक भेड़िया ने भैंसे का शिकार किया और वह उसकी मास को खा रहा था। तभी अचानक उसके गले में एक हड्डी फंस गई। बहुत दर्द से छटपटाने लगा। गले में इतना दर्द था कि उसे लगा कि अब उसका अंत आ गया है। तभी उसे एक सारस दिखाई दिया। उसने कहा सरस भैया मेरे गर्दन में हड्डी फंस गई है।

कृपया मेरी मदद करो मैं आपका एहसानमंद रहूंगा। और इनाम भी दूंगा। सरस ने अपनी लंबी गर्दन उसके मुंह में डाली और अपनी सोच की मदद से हड्डी को बाहर निकाल दिया। तब जाकर भेड़िए के जान में जान आई। तब सारस बोला भेड़िए भाई मेरा इनाम दो यह सुनकर भेड़िया बोला इनाम कैसा इनाम।

शुक्र मना तेरा मुंह जब मेरे मुंह के अंदर था तब मैंने तुम्हें दबोचा नहीं जरा सोचो अगर मैं झगड़ा बंद कर लेता तो तुम्हारा क्या होता। इसलिए कहते हैं नेकी उन्हीं के साथ करनी चाहिए जो उनके लायक हो।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- – नेकी उनके साथ करनी चाहिए जो उसके लायक हो।

7. भेड़िया और बकरी (short stories in hindi with moral)

7. भेड़िया और बकरी (short stories in hindi with moral)

एक बार एक भेड़िए ने एक बकरी को पहाड़ के ऊपर फिसलन भरी जगह पर घास खाते देखा और बोला बहन बकरी क्या तुम्हें फिसलन से डर नहीं लगता। बकरी ने जवाब नहीं दिया वह अपने काम में लगी रही। वह फिर बोला वहां पर बहुत ठंड है और नीचे बचाओ की जगह भी नहीं है।

बकरी फिर भी कुछ नहीं बोली और वहीं पर घास खाती रही। आखरी में भेड़िया जोर से फिर बोला बहन वहां से ज्यादा मीठी घास यहां पर है। बकरी बोली भाई तुम्हें मेरे भोजन की फिक्र है या अपनी.

हमें इससे यह शिक्षा मिलती है। कि दूसरे के बहकावे में नहीं आना चाहिए।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- – हमें दूसरे के बहकावे में नहीं आना चाहिए।

8. अंगूर खट्टे हैं (Hindi short stories for kids)

8. अंगूर खट्टे हैं (Hindi short stories for kids)

एक लोमड़ी भूखी प्यासी इधर उधर भटक रही थी। अचानक उसकी नजर अंगूर के ऊपर पड़ी और उसने छलांग लगाई पर वह अंगूर तक नहीं पहुंच सकी। उसने बार-बार प्रयास किया पर अंगूर उसके पहुंच से बहुत दूर थे। 

आखिर थक हार कर बोली मैं क्या करूंगी इन अंगूरों का यह तो खट्टे हैं। सच है जो काम नहीं कर पाते कुछ ना कुछ बहाना ढूंढ लेते हैं।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:-– अपनी नाकामी पर दूसरे को दोष नहीं देना चाहिए।

9. शेर और चूहे की कहानी: Short Hindi Story with Moral

9. शेर और चूहे की कहानी: Short Hindi Story with Moral

एक बार की बात है जब एक शेर जंगल में सो रहा था उस समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा अपने मनोरंजन के लिए. इससे शेर की नींद ख़राब हो गयी और वो उठ गया साथ में गुस्सा भी हो गया.

वहीँ फिर वो जैसे ही चूहे को खाने को हुआ तब चूहे ने उससे विनती करी की उसे वो आजाद कर दें और वो उसे कसम देता है की कभी यदि उसकी जरुरत पड़े तब वो जरुर से शेर की मदद के लिए आएगा. चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर बहुत हँसा और उसे जाने दिया.

कुछ महीनों के बाद एक दिन, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने अपने जाल में शेर को फंसा लिया. वहीँ उसे उन्होंने एक पेड़ से बांध भी दिया. ऐसे में परेशान शेर खुदको छुड़ाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन कुछ कर न सका. ऐसे में वो जोर से दहाड़ने लगा.

उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देने लगी. वहीँ पास के रास्ते से चूहा गुजर रहा था और जब उसने शेर की दहाड़ सुनी तब उसे आभास हुआ की शेर तकलीफ में है. जैसे ही चूहा शेर के पास पहुंचा वो तुरंत अपनी पैनी दांतों से जाल को कुतरने लगा और जिससे शेर कुछ देर में आजाद भी हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दी. बाद में दोनों साथ मिलकर जंगल की और चले गए.

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- इस कहानी से हमें ये सीख मिलता है की उदार मन से किया गया काम हमेशा फल देता है। 

10. बेईमानी का नतीजा (stories for kids in hindi)

10. बेईमानी का नतीजा (stories for kids in hindi)

एक औरत ने अपने घर में दो नौकरानी रखी हुई थी। वह कौन से दिन भर काम कराती उस औरत के पास एक मुर्गा भी था। जो सुबह 4:00 बजे आवाज देकर उनको सुबह जल्दी उठा देता था। नौकरानी यों को सुबह उठना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।

इसलिए नौकरानीयों को मुर्गे से भी नफरत हो गया था। एक दिन एक नौकरानी दूसरे नौकरानी से बोली जिस दिन नौकरानी कहीं गई होगी उस दिन मुर्गे को खत्म कर देंगे। इसके बाद हमें कोई जल्दी सुबह नहीं उठाएगा और हम जी भर के सो सकेंगे।

दूसरी नौकरानी को भी उसकी यह योजना पसंद आ गई। एक दिन मौका पाकर उन्होंने मुर्गे को मार दिया और आरोप किसी और पर लगा दिया। मालकिन को उनकी याद चाल समझ में आ गई थी।

इसलिए मालकिन ने उन्हें आधी रात को ही उठा दिया। वह दोनों बोली मालकिन अभी 4:00 नहीं बजे हैं। महिला बोली तुम काम करना शुरू करो और 4:00 बजे हमें जगा देना। नौकरानीया पछताने लगी कि हमने अपना ही नुकसान कर लिया। दोस्तों धोखेबाजी से अपना ही नुकसान होता है।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- – हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। धोखेबाजी से अपना ही नुकसान होता है।

11. समझदार भेड़िया ( a short moral story in hindi )

11. समझदार भेड़िया ( a short moral story in hindi )

एक जंगल में एक भेड़िया था जो बहुत समझदार और बुद्धिमान था।एक दिनों से एक मरा हुआ हाथी दिखाई दिया। भेड़िया ने अपने पंजे से उसकी चमड़ी उतरने की कोशिश की पर चमड़ी बहुत सख्त थी।हाथी की चमड़ी उतारना भेड़िए की बस की बात नहीं थी।

अचानक वहां एक बब्बर शेर आ गया। भेड़िया शेर को देखकर बोला मालिक मैं तो आपके लिए ही इस की रखवाली कर रहा था। यह मेरी तरफ से आपके लिए तोहफा है। शेर बोला धन्यवाद और तुम मेरा स्वभाव जानते हो मैं दूसरे का शिकार किया हुआ नहीं खाता हूं।

मैं अपनी खुशी से तुम्हें यह देता हूं। यह कहकर बब्बर शेर वहां से चला गया। तभी वहां एक साधारण शेर आया भेड़िया उसे देखकर बोला चाचा जी चाचा जी आप कहां मौत के मुंह में चले आ रहे हैं। शेर बोला क्या मतलब भेड़िया बोला यह शिकार बब्बर शेर ने किया है और हमें रखवाली के लिए बोला है।

और साथ में कहा है कि अगर कोई इधर शेर दिखाई दे तो मुझे सूचित करना मैं सारे शेरों का खात्मा कर दूंगा। इतना सुनकर साधारण शेर वहां से भाग निकला तभी वहां एक चीता आया। भेड़िया चिता को देखकर मन ही मन सोचा इसके दांत नुकीले हैं।

क्यों ना हाथी की चमड़ी इसी से कटवाले भेड़िए ने चीते से कहा देखो भांजे इस हाथी का शिकार बब्बर शेर ने किया है। और मुझे रखवाली के लिए रखा है। अगर तुम हाथी का स्वादिष्ट मांस खाना चाहते हो तो जल्दी खाना कहीं राजा ना आ जाए।

चिता उसकी बातों में आ गया और मांस खाने के लिए जैसे ही चमड़ी को उतारा वैसे ही भेड़िया बोला भाग लो भांजे बब्बर शेर आ रहा है।चीता भाग गया इस तरह भेड़िए ने लंबे समय के लिए अपने भोजन का इंतजाम कर लिया।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- – अकलमंदी से मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान किया जा सकता है।

12. जलपरी और लकड़हारा ( story in hindi written )

12. जलपरी और लकड़हारा ( story in hindi written )

एक गरीब लकड़हारा था वह अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए जंगल से लकड़ियां काटता और शहर में जा कर बेचता था।एक दिन जब वह नदी किनारे एक पेड़ पर बैठकर लकड़ी काट रहा था। तभी उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। उसे तैरना नहीं आता था।

इसलिए वह नदी किनारे बैठ कर रोने लगा। तभी नदी में से एक जलपरी निकली। और बोली तुम क्यों रो रहे हो मैं जलपरी हूं मुझे बताओ शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूं। लकड़हारा बोला जब मैं उस पेड़ पर लकड़ी कर रहा था तो मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई।

जलपरी बोली चिंता मत करो मैं तुम्हारे कुल्हाड़ी ढूंढ दूंगी। जलपरी पानी में गई और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर आई। और बोला क्या यह है तुम्हारी कुल्हाड़ी लकड़हारा बोला नहीं यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।

जलपरी फिर गई और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर आई और फिर पूछा क्या यह है तुम्हारी कुल्हाड़ी लकड़हारा बोला नहीं यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। इस बार जलपरी फिर गई और लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आई उसे देखकर लकड़हारा बोला हां यही है मेरी कुल्हाड़ी जलपरी बहुत खुश हुई। और लकड़हारे को सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी दे दी।

Moral of the stories इस कहानी की शिक्षा:- – ईमानदारी का फल सदा अच्छा ही होता है।

13. घोड़ा अड़ गया ( hindi short stories )

संत महात्माओं को हमारी विशेष गरज रहती है। जैसे मां को अपने बच्चे की याद आती है बच्चे को भूख लगते ही मां स्वयं चलकर बच्चे के पास चली आती है। ऐसे ही संत महात्मा सच्चे जिज्ञासु के पास खींचे चले आते हैं।

एक गृहस्थ बहुत ऊंचे दर्जे के जीवन मुक्त महापुरुष थे। वे अपने घोड़े पर चढ़कर किसी गांव जा रहे थे। चलते चलते घोड़ा एक अन्य रास्ते पर चल पड़ा। उन्होंने उसको जितना ही मोड़ना चाहा लेकिन वह तो उसी रास्ते पर चलने के लिए अड़ गया।

इस पर उन्होंने सोचा कि अच्छी बात है इसके मन में जिधर जाने की है उधर से चलना चाहिए। अपने थोड़ा चक्कर पड़ेगा कोई बात नहीं वह घोड़ा जाते जाते एक घर के सामने रुक गया । समय अधिक हो गया था अतः वह स्थान तो घोड़े से नीचे उतर पड़े और उस घर के अंदर गए।

वहां एक सज्जन मिले । उन्होंने उन महापुरुष का बड़ा आदर सत्कार किया क्योंकि वे उन्हें नाम से जानते थे कि अमुक नाम के महापुरुष बड़े अच्छे संत हैं। वे सज्जन अच्छे साधक थे वह कई बार सोचते थे कि संत महात्मा के पास जाएं और उनसे साधना संबंधित रास्ता पूछें।

आज तो भगवान ने कृपा कर दी तो महात्मा घर बैठे ही उनके पास आ गए। उन्होंने उन गृहस्थ संत को भोजन आदि कराया सतसंगत संबंधित बातें हुई जो बातें उन सज्जन ने पूछे उनका अच्छी प्रकार समाधान उन संत ने किया।

वह शांत जाते-जाते बोले कि भाई जब भी कोई शंका हो तो यह मेरा पता है आ जाना या मुझे समाचार कर देना मैं आ जाऊंगा उस पर उन सज्जन ने पूछा महाराज अभी आपको किसने समाचार भेजा था कि आप पधारे।

तो यह संत बोले मेरा घोड़ा अड़ गया था इसलिए मुझे आना पड़ा। तो उन सज्जन ने कहा अब की बार फिर आप का घोड़ा और जाए तब फिर आ जाना तात्पर्य यह है कि जब साधक की सच्ची जिज्ञासा होती है तो संतों का घोड़ा अड़ जाता है।

संतो की बात क्या स्वयं भगवान के कानों में भी सच्ची पुकार तुरंत पहुंच जाती है और वह किसी संत के साथ हमारी भेंट करा देते हैं।

14. समझदार लोमड़ी (short story in hindi for kids)

14. समझदार लोमड़ी (short story in hindi for kids)

एक शेर और एक गधा और एक लोमड़ी में नई नई दोस्ती हो गई। तीनों मिलकर शिकार करने की योजना बनाई। और कहा कि शिकार पर तीनों का बराबर हिस्सा होगा। अचानक उन्होंने एक हिरण देखा तीनों ने मिलकर उसे बहुत थक आया।

और जब हिरन थक गया तो शेर ने उसे मार दिया। और गधे से कहा शिकार के तीन हिस्से कर दो। गधे ने उसे तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया यह देखकर शेर को गुस्सा आ गया। और शेर ने गधे पर हमला करके मार दिया और फिर लोमड़ी से भी बोला लोमड़ी सब देख रही थी।

लोमड़ी अपने खुद के लिए एक चौथाई भाग रखा और सब शेर को दे दिया। तब शेर बहुत प्रसन्न हुआ और बोला तुम सही में बुद्धिमान हो यह सब तुमने कहां से सीखा है। लोमड़ी बोली यह सब हमने गधे की गलतियों से सीखा है।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- हमें अपने ही गलतियों से नहीं बल्कि दूसरों की गलतियों से भी सीखना चाहिए।

15. जैसे को तैसा (short story in hindi with moral)

15. जैसे को तैसा (short story in hindi with moral)

एक बुढ़िया थी जिसकी आंखें चली गई वह एक वैध राज के पास गई।और कहा अगर आप मेरी आंखें ठीक कर देंगे तो मैं आपको उचित इनाम दूंगी। अगर आप ऐसा नहीं कर पाए तो मैं आपको कुछ नहीं दूंगी। वैध राज तैयार हो गया और वह अगले दिन से बुढ़िया के घर जाकर उसका इलाज करने लगा।

पर उसे उसके घर रखें सामान को देखकर लालच आ गया। बुढ़िया को दिखता तो था नहीं इसी का फायदा उठाकर वैध राज एक एक समान चुरा लिया। फिर उसने बुढ़िया के घर जाना ही छोड़ दिया। परंतु भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।

अचानक एक दिन बुढ़िया की आंखें ठीक हो गई। उसने पिछवाड़े में दबा हुआ धन निकाला। और उसी तरह बढ़िया जिंदगी जीने लगी वैध राज सोचने लगा कि उसका सारा जेवरात और सामान हम ने लूट लिया था। पर जब वैध राज उसे फिर से वैसे ही देखा तो वह राज दरबार में जाकर शिकायत कर दी।

राज दरबार में बुढ़िया ने माना कि उसने कहा था कि अगर उसकी आंखें ठीक हो गई तो वह वैधराज को उचित इनाम दूंगी। पर महाराज जब हम ने आंखें खोली तो हमारे घर में एक भी सामान नहीं दिखाई दिया यहां तक कि हमारे घर में एक भी बर्तन भी नहीं दिखाई दिया।

फिर यह कैसे कह सकते हैं कि मेरी आंखें ठीक हो गई हैं अगर ठीक हो गए हैं तो मेरा सामान कहां है। राजा ने गुड़िया की बात सुनकर उसे छोड़ दिया और वैध राज को हुक्म दिया कि उसका सारा सामान उसे दे दो।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:- जैसे को तैसा मिलना चाहिए

16. अक्ल बड़ी या भैस बड़ी Naitik Kahani in Hindi

16. अक्ल बड़ी या भैस बड़ी Naitik Kahani in Hindi

 Inspirational Short Story in Hindi | Moral Stories

एक पर्वत ऊंची सिखर पर एक गिद्ध रहता था। पर्वत पर एक बरगद के पेड़ पर एक कौआ घोंसला बनाकर रहता था। चालाक और धूर्त था। उसका प्रयास  बिना परिश्रम के खाने को मिल जाए। पेड़ के दुरी पर चूहा  भी रहता था। जब भी चूहा  के बच्चे बाहर आते तो गिद्धः ऊंची उड़ान भरते और एकाध चूहे  को उठाकर ले जाते।

 कौए ने सोचा, एक दिन ‘वैसे तो ये चालाक चूहा  मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इनका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी गिद्ध की तरह करना होगा। एकाएक झपट्टा मारकर पकड़ लूंगा।’

दूसरे दिन कौए ने भी एक चूहा  को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी। फिर उसने चूहा  को पकड़ने के लिए गिद्ध  की तरह ज़ोर से झपट्टा मारा। भला कौआ गिद्ध  का  मुकाबला  क्या करता। चूहा  ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया। कौआ अपनी ही जोश  में उस चट्टान से जा टकराया। उसकी चोंच  गरदन टूट गईं परिणामस्वरूप  वहीं तड़प – तड़प कर दम तोड़ दिया।

Moral of story :इस कहानी की शिक्षा:-  नकल में अक्ल की जरुरत होती कहावत है : अक्ल बड़ी या भैस बड़ी  नक़ल से  जिन्दगी में  कुछ भी कोई  हासिल नहीं कर सकता हैं।इस लिए दुसरो का नक़ल सोंच समझ के करना चाहिए नहीं तो कौए जैसा हो सकता है। 

17. मुर्गा की अकल ठिकाने Short Moral Stories in Hindi for Class 1

17. मुर्गा की अकल ठिकाने Short Moral Stories in Hindi for Class 1

एक समय की बात है , एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया , उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। 

सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी , और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।  

सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।

18. शरारती चूहा Moral Stories in Hindi for Class 10

18. शरारती चूहा Moral Stories in Hindi for Class 10

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी।  चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था , उसने शरबत पीना था।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है।  अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है।  बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता।  फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ  शरबत से गीली हो जाती है  उसे चाट – चाट कर  चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

19. बिल्ली बच गई  Moral Stories for Childrens in Hindi 

19. बिल्ली बच गई  Moral Stories for Childrens in Hindi 

ढोलू – मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते , पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे।  एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे।  उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए  खूब रो रहे थे। ढोलू – मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू – मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू – मोलू को शाबाशी दी।

नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

20. दोस्त का महत्व( Hindi short stories with moral for kids )

20. दोस्त का महत्व( Hindi short stories with moral for kids )

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं , पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

एक  दिन की बात है , वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई , इस पर वेद को मालिश किया गया।

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

नैतिक शिक्षा – दोस्त सुख – दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

21. मां की ममता – Short Hindi stories with moral

21. मां की ममता – Short Hindi stories with moral

आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे , इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे , इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी , किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया , वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:-संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

22. राजू की समझदारी – Laghu kahani (short motivational story in hindi)

22. राजू की समझदारी – Laghu kahani (short motivational story in hindi)

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती , वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।

राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।

राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।

घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।

राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।

उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।

दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।

फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।

short Moral of story: इस कहानी की शिक्षा:-स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।

23. गंजा आदमी और मक्खी very short story in hindi

23. गंजा आदमी और मक्खी very short story in hindi

एक समय की बात है… गर्मी की दोपहर थी। एक गंजा आदमी सुबह से काम करते-करते थककर आराम करने बैठा था। एक मक्खी कहीं से उड़ती हुई आई और उसके आस-पास मंडराने लगी।

गंजा आदमी उसे उड़ाता पर बार-बार वह उसके माथे पर बैठ जाती और उसे काट लेती। परेशान होकर उसने एक जोर का पंजा उसे मारा।

मक्खी तो उड़ गई पर अपना ही हाथ उसे सिर पर जोर का लगा। कुछ पलों बाद मक्खी फिर से आकर काटने लगी। सिर पर बैठने पर गंजे ने उसे फिर से जोर से मारा।

मक्खी इस बार भी बच गई। कुछ देर शांत रही। शीघ्र ही मक्खी ने फिर से भिनभिनाना शुरु कर दिया। गंजा व्यक्ति समझ गया। उसने कहा, “दुष्ट शत्रुओं पर ध्यान देने से व्यक्ति अपना ही नुकसान करता है उस पर ध्यान न देने में ही भलाई

है…” थोड़ी देर बाद मक्खी उड़कर किसी और को बताने चली गई।

Moral of Short Stories In Hindiशिक्षा : दुष्ट शत्राओं पर ध्यान देने से व्यक्ति अपना ही नुकसान करता है।

24. कालिया को मिली सजा short moral stories in hindi for class 1

24. कालिया को मिली सजा short moral stories in hindi for class 1

कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।

कोई बच्चा गलती से उस गली में निकल जाता तो , उसके हाथों से खाने की चीज छीन कर भाग जाता ।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।

वह किसी को परेशान नहीं करता , छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।

एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

शेरू जोर-जोर से रोने लगा।

राहुल ने अपने पापा से बताया। उसके पापा कालिया की हरकत को जानते थे। वह पहले भी देख चुके थे।

उन्हें काफी गुस्सा आया।

एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।

कालिया को अब अपनी नानी याद आ गई थी।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

छोटे बच्चे को देखते ही छुप जाता था।

मोरल— बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

25. बकरी और लोमड़ी Hindi Story for all Class Students

25. बकरी और लोमड़ी Hindi Story for all Class Students

एक समय की बात है, एक लोमड़ी जंगल में घूमते-घूमते एक कुएँ के पास पहुँची। कुएँ के चारों ओर दीवार नहीं थी। लोमड़ी ने ध्यान नहीं दिया और भीतर गिर गई। हालांकि कुआँ बहुत गहरा नहीं था पर लोमड़ी बाहर नहीं निकल पा रही थी। निराश होकर वह वहीं बैठ गई।

तभी ऊपर से एक बकरी जाती दिखाई दी। बकरी ने लोमड़ी को कुएँ में देखकर पूछा, “अरे बहन, तुम भीतर क्या कर रही हो?”

लोमड़ी ने कहा, “बकरी बहन! तुम्हें पता नहीं है… शीघ्र ही भयंकर सूखा पड़ने वाला है। यहाँ कोई और आए उससे पहले ही मैं भीतर आ गई।

कम से कम यहाँ पानी तो है। तुम भी क्यों नहीं भीतर आ जाती हो?” बकरी ने सोचा कि लोमड़ी बहुत अच्छी सलाह दे रही है और वह भी कुएँ में कूद गई। बकरी के कुएँ के भीतर पहुँचते ही लोमड़ी उछलकर बकरी

की पीठ पर चढ़ी और फिर बाहर निकल आई। उसने बकरी से कहा, “अलविदा बहन, मैं तो चली” और लोमड़ी सिर पर पैर रखकर भाग गई।

Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा: कभी किसी पर आँख मूंदकर विश्वास मत करो।

26. चिंटू पिंटू की शरारत small short stories with moral values in hindi

26. चिंटू पिंटू की शरारत small short stories with moral values in hindi

चिंटू-पिंटू दोनों भाई थे , दोनों की उम्र लगभग 2 साल की होगी। दोनों खूब शरारत करते थे। चिंटू ज्यादा शरारती था। वह पिंटू के सूंढ़ को अपने सूंढ़ में लपेटकर खींचता और कभी धक्का देकर गिरा देता।

एक दिन की बात है , दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।

चिंटू का पैर फिसल जाता है , वह एक गड्ढे में गिर जाता है।

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।

पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

चिंटू की शरारत उस पर आज भारी पड़ गई थी।

उसने रोते हुए कहा – आगे से शरारत नहीं करूंगा।

दोनों भाई खेलने लगे , इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

27. साहस का परिचय Short Moral Stories in Hindi

27. साहस का परिचय Short Moral Stories in Hindi

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी , तभी दो गीदड़ आ गए।

वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।

सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।

मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।

सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।

मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।

28. जंगल का तोता – Panchatantra Short Stories in Hindi with Moral

28. जंगल का तोता – Panchatantra Short Stories in Hindi with Moral

एक शहर में मसाले बेच ने वाले का एक बहुत बड़ा व्यापारी था। आसपास के गांवों के लोग उसकी दुकानों पर मसाले खरीदने आते थे। शहर में सेठ के कई दुकाने थी। आसपास के गांवों में भी मसालों की कोई दुकानें नहीं थी इसलिए सेठ खुद ही कभी-कभी मसाले बेचने के लिए जाता था।

एक बार सेठ गांव में कुछ मसाले बेचने के लिए गया था। वहां से लौटते समय एक पेड़ के नीचे वह आराम करने बैठ गया और थोड़ी ही देर में उसे नींद आ गई। जब वह नींद से जागा तो उसने अपने आसपास तोतों का समूह देखा। हरे रंग, लाल चोंच और गले पर काली पटृी वाले तोतों को देखकर सेठ ने सोचा, कितने सुंदर हैं ये तोते। एक दो तोतों को साथ ले जाऊं तो परिवार के लोग बहुत खुश होंगे।

यह सोचकर सेठ ने अपना गमछा तोतों के झुण्ड पर फेंका और एक तोता पकड़ लिया। इस तोते को सेठ अपने घर ले गया।

सेठ ने घर पहुंचकर तोते के लिए सोने का पिंजरा बनवाया। उसमें तोते के लिए बैठक और एक झूला रखवाया। पानी पीने के लिए कटोरी और खाने के लिए एक छोटी सी तश्तरी भी रखवाई। तोता सोने के पिंजरे में रहने लगा। उसे अमरूद, मिर्च आदि मनपसंद वस्तुएं खाने को दी जाने लगीं।

घर के बच्चे तथा सेठ तोते से बातें भी करते। तोता थोड़ा थोड़ा बोलना भी सीख गया। तोते के साथ बातें करने में सबको बहुत आनंद आने लगा।

Parrot Hindi Moral Story

कुछ दिनों बाद सेठ को गांव में से कुछ मसलो की आर्डर आयी और उसने खुद ही जाने का फैसला किया। जाते वक्त उसने अपने तोते से कहा, ”तोते राम, मैं गांव में जा रहा हूं। लौटते समय मैं तेरे माता पिता व सगे संबंधियों से मिलूंगा। तुझे उनके लिए कोई संदेश भेजना हो तो बता?“

तोते ने कहा,”सेठ जी, उन सबसे कहना, तोता भूखा नहीं है, तोता प्यासा भी नहीं है। तोता सोने के पिंजरे के अंदर आनंद से रह रहा है।“

सेठ अपने मसाले बेचकर लौटते समय उसी पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रूका। तभी तोतों का एक समूह उस पर टूट पड़ा। वे उसे चोंच से मारने लगे। उनमें से एक तोते ने सेठ से पूछा, ”सेठ जी, हमारा तोता क्या कर रहा है?“

सेठ ने उन्हें शांत करते हुए कहा, ”तोता भूखा नहीं है, तोता प्यासा नहीं है। तोता सोने के पिंजरे के अंदर आनंद कर रहा है।“

यह सुनकर सभी तोते बिना कुछ बोले जमीन पर मुर्दों की तरह लुढ़क गए। सेठ उनके पास गया उसने तोतों को हिला डुलाकर देखा, पर ऐसा लगा जैसे सारे तोते आघात से मर गए हों।

सेठ जी घर पर आए। सेठ को देखते ही तोते ने अपने माता पिता एवं सगे संबंधियों के समाचार पूछे।

सेठ ने कहा, ”तेरे माता पिता और सगे संबंधियों को जब मैंने तेरा संदेश सुनाया तो सभी लुढ़क गए। क्या उन्हें आघाल लगा होगा?“

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पिंजरे के तोते ने कोई जवाब नहीं दिया। सेठ की बात सुनकर वह स्वयं भी पिंजरे में झूले से नीचे गिर पड़ा। सेठ ने यह देखा तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उसने पिंजरे का दरवाजा खोला और तोते को हिला डुलाकर देखा। सेठ जी को लगा वह तोता भी आघात से मर गया है। सेठ जी ने तोते को पिंजरे से बाहर निकालकर थोड़ी दूर पर रख दिया। मौका देखकर तोता पंख फड़फड़ाता हुआ उड़ गया।

जाते जाते उसने कहा, ”सेठ जी, मैं आपका आभारी हूं। मुझे अपने माता पिता का संदेश मिल गया है। मैं उनसे मिलने जा रहा हूं। आपका पिंजरा सोने का था, लेकिन वह पिंजरा था। मेरे लिए वह जेल थी।“ तोता उड़ता हुआ जंगल में अपने माता पिता और सगे संबंधियों के पास पहुंच गया। उसे लौटकर आया हुआ देख सब खुश हो गए।

अब मुक्त वातावरण में तोता सबके साथ आनंद से रहने लगा।

29. सबसे होशियार इंसान – Hindi Story for Class with Moral

29. सबसे होशियार इंसान – Hindi Story for Class with Moral

Hindi Story for Class with Moral

एक बार एक छोटे प्राइवेट हवाई जहाज में शाम के समय एक डॉक्टर, एक वकील, एक छोटा बच्चा और एक पंडित जी जा रहे थे। अचानक हवाई जहाज के इंजिन में कुछ तकनीकी खराबी हो गई।

पायलट की तमाम कोशिशों के बावजूद हवाई जहाज नीचे जाने लगा। पायलट ने पैराशूट लेकर मुसाफिरों से कहा कि वह कूद जाए और खुद को बचा लें। दुर्भाग्य से सिर्फ तीन पैराशूट बचे थे और हवाई जहाज में चार लोग बाकि थे।

एक पैराशूट डॉक्टर ने ले लिया और कहा “मैं डॉक्टर हूं, मैं जिंदगियां बचाता हूं इसलिए मुझे जीना चाहिए।” यह कहकर वह कूद गया।

फिर वकील ने कहा, “मैं वकील हूं और वकील दुनिया के सबसे होशियार इंसान होते है।” उसने पैराशूट लिया और वह भी कूद गया।

पंडित जी ने छोटे लड़के की ओर देखा और कहा, “बेटा, मैने अपनी जिंदगी जी ली है। तुम अभी छोटे हो और तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी हे। यह आखिरी पैराशूट लो और आराम से जीना।”

छोटे लड॒के ने पैराशूट पंडित जी को वापिस किया और कहा, “आप परेशान ना हो। जो आदमी खुद को सबसे होशियार बता रहा था वह मेरा बैग लेकर नीचे कूद गया है। हमारे पास दोनों पैराशूट सुरक्षित है। हम आराम से नीचे कूद सकते है।”

Moral of the Story – आपके काम से आपकी पहचान नहीं होती बल्कि एक अच्छा इंसान बनने से आपकी पहचान होती है।

30. आदत का जिम्मेदार – चिल्ड्रन स्टोरी इन हिंदी

30. आदत का जिम्मेदार – चिल्ड्रन स्टोरी इन हिंदी

एक आदमी को रोज़ दारू पीने की बुरी आदत पड़ गयी थी। उसकी इस आदत से घरवाले बड़े परेशान रहते थे। गांव के लोगों ने उसे समझाने कि भी बहुत कोशिश कि, लेकिन वो हर किसी को एक ही जवाब देता, “मैंने ये आदत नहीं पकड़ी, इस आदत ने मुझे पकड़ रखा है।”

वास्तव में सचमुच वो इस आदत को छोड़ना चाहता था, पर कई कोशिशों के बावजूद वो ऐसा नहीं कर पा रहा था। उसके परिवार वालों ने सोचा कि शायद शादी करवा देने से वो ये आदत छोड़ दे सकता है, इसलिए उसकी शादी करा दी गयी।

पर कुछ दिनों तक सब ठीक चला और फिर से वह शराब पिने लगा। उसकी पत्नी भी अब काफी चिंतित रहने लगी, और उसने निश्चय किया कि वह किसी न किसी तरह अपने पति की इस आदत को छुड़वा ही लेगी।

एक दिन गांव में प्रसिद्ध साधु महाराज आ गए। वो अपने पति को लेकर उनके आश्रम पहुंची। साधु ने कहा, “बताओ पुत्री तुम्हारी क्या समस्या है?”

पत्नी ने दुखी स्वर में सारी बातें साधु महाराज को बता दी। साधु महाराज उनकी बातें सुनकर समस्या कि जड़ समझ चुके थे, और समाधान देने के लिए उन्होंने पति-पत्नी को अगले दिन आने के लिए कहा।

अगले दिन वे आश्रम पहुंचे तो उन्होंने देखा कि साधु महाराज एक पेड़ को पकड़ के खड़े है। उन्होंने साधु से पूछा कि आप ये क्या कर रहे हैं, और पेड़ को इस तरह क्यों पकडे हुए हैं?

Hindi Mein Kahaniyan

साधु ने कहा, “आप लोग जाइये और कल आइयेगा”  फिर चौथे दिन भी पति-पत्नी पहुंचे तो देखा कि फिर से साधु पेड़ को पकड़ के खड़े हैं।

उन्होंने पूछा, “महाराज माफ़ करिये पर आप ये क्या कर रहे हैं? आप इस पेड़ को छोड़ क्यों नहीं देते?”

साधु बोले, “मैं क्या करूँ बालक ये पेड़ मुझे छोड़ ही नहीं रहा है?”

पति हँसते हुए बोला, “महाराज आप पेड़ को पकडे हुए हैं, पेड़ आप को नहीं! आप जब चाहें उसे छोड़ सकते हैं”

साधू-महाराज गंभीर होते हुए बोले, “इतने दिनों से मै तुम्हे क्या समझाने कि कोशिश कर रहा हूँ। यही न कि तुम दारू पिने की आदत को पकडे हुए हो, ये आदत तुम्हे नहीं पकडे हुए है!”

पति को अपनी गलती का अहसास हो चुका था। वह समझ गया कि किसी भी आदत के लिए वह खुद जिम्मेदार है, और वह अपनी इच्छा शक्ति के बल पर जब चाहे उसे छोड़ सकता है।

31. रेगिस्तान की यात्रा – Acchi Kahaniyan with Moral

31. रेगिस्तान की यात्रा – Acchi Kahaniyan with Moral

एक आदमी रेगिस्तान में यात्रा कर रहा था। साथ में था उसका ऊंट और ऊंट पर लदा था ढेर सारा सामान। ऊंट और वह दोनों ही पसीने से तर बतर थे। गरमी से थक कर उस आदमी ने फैसला किया कि अब वह कहीं आराम करेगा। इसलिए यात्रा बीच में ही रूक गई। ऊंट की पीठ से अपना तंबू उतारकर आदमी ने एक जगह गाढ़ दिया और उसके अंदर जाकर सुस्ताने लगा।

ऊंट भी छाया चाहता था मगर आदमी ने डपटकर उसे धूप में ही खड़े रहने का हुक्म सुना दिया। उस ने तंबू में करीब दो घंटे तक आराम किया। जब सूरज थोड़ा सा ढल गया, तब उस ने भोजन किया और ऊंट पर सवार होकर यात्रा के लिए चल पड़ा। ऊंट बेचारा मन मसोसकर रह गया। उसे गुस्स तो बहुत आ रहा था अपने निर्दयी मालिक पर, पर अब वो कुछ नहीं कर सकता था।

रात हो गई। मौसम ठण्डा होने लगा था। रेगिस्तान में दिन जितने गरम होते हैं, रातें उतनी ही ठण्डी होती हैं। आधी रात होते-होते उस आदमी के दांत ठंड से किटकिटाने लगे तो उसने फिर ऊंट को रोका और उसकी पीठ से तंबू उतराकर रेत में ही लगाया तथा उसके अंदर घुसकर आराम करने का विचार किया।

इस बार ऊंट पहले से ही तैयार था। उसने कहा, ”मालिक, मुझे भी ठंड लग रही है।“

”तो?“ आदमी ने घूरकर उसकी ओर देखा और टैंट में घुस गया। ऊंट बार बार तंबू में सिर घुसेड़कर पूछता, ”मालिक मैं भी अंदर आ जाऊं?“

Moral Stories in Hindi for Class 9

उस आदमी ने सोचा कि ऐसे तो यह बेहूदा ऊंट मुझे सोने ही नहीं देगा। इसलिए उसने कहा, ”ठीक है, तुम भी अपना सिर तंबू के अंदर कर लो।“ ऊंट खुश हो गया। वह मन ही मन मुस्करा रहा था।

कुछ ही समय गुजरा था कि ऊंट ने फिर कहा, ”वाह मालिक, मजा आ गया। अब मेरे सिर को ठंड नहीं लग रही है। आप बुरा न मानें तो अपनी अगली टांगें भी तंबू के अंदर कर लूं।“ आदमी ने सोचा इसमें बुराई क्या है? उसने अपने पैर सिकोड़ लिए और ऊंट ने गरदन और अगली टांगें भी टैंट में कर लीं।

आदमी की आंखें झपकी ही थी कि ऊंट जोर जोर से कराहने लगा। आदमी ने पूछा, ”अब क्या हुआ?“ ऊंट बोला, ”ऐसे तो मैं बीमार हो जाऊंगा मालिक! आधा शरीर गरम और आधा ठंडा हो रहा है। देख लीजिए, अगर मैं बीमार हो गया तो आपको भी यात्रा बीच में ही छोड़नी पड़ेगी।“

वह आदमी बेचारा सोच में पड़ गया। फिर बोला, ”तो क्या करूं?“ ”करें क्या मालिक? मैं अपना बाकी शरीर भी अंदर कर लेता हूं।“ ऊंट बोला।

”नहीं, नहीं! इस तंबू में दो की जगह नहीं है।“ ”हां, यह बात तो है मालिक।“ ऊंट बोला, ”ऐसा कीजिए, आप थोड़ा बाहर निकल जाइए। मैं अंदर लेट जाता हूं।“ यह कहकर ऊंट तंबू में घुस गया और आदमी को सारी रात रेगिस्तान की ठंड में गुजरानी पड़ी।

इस तरह समझदार ऊंट ने अपना बदला चुकाकर सारा हिसाब किताब बराबर कर लिया। अगली यात्रा पर ऊंट के मालिक ने बड़ा तंबू खरीद ने का सोचा, उसे उसका सबक मिल चूका था। (1)

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