युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी | Short Motivational Story in Hindi
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी: मुश्किल समय हर किसी के जीवन मे आता है। मुश्किल वक्त ही इंसान को महान बनाने की नींव रखता है। खराब समय कुछ ही वक़्त के लिए रहता है मगर ये इंसान को मजबूत करके जाता है।
बाधाओं और तकलीफों से लड़कर ही इंसान महान बनता है, आज इन 2 अच्छी युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी में आप जानेंगे कि मुश्किल वक्त कैसे इंसान के लिए एक वरदान साबित होता है।
दो पत्थरों की प्रेरक कहानीं (motivational story in hindi for students)
मोटिवेशनल कहानी इन हिंदी: एक गांव मे एक नया मन्दिर बनाया गया। फिर उसमे मूर्ति के बनाने के लिए एक मूर्तिकार को बुलाया गया। और मूर्तिकार से कहा कि मन्दिर मे मूर्ति रखनी हैं। कोई अच्छी सी मूर्ति बना कर लाओ। मूर्तिकार मूर्ति के लिए अच्छा पत्थर खोजने जंगल मे गया। कुछ दूर चलते ही दो पत्थर दिखाई दिये।
मूर्तिकार ने सोचा कि ये पत्थर ठीक है इनको ही तरासकर मूर्ति बना लेता हूँ। मूर्तिकार ने अपने औजार निकाले जैसे ही मूर्तिकार पहले पत्थर पर पहली हथौड़ी की चोट मारने लगा वैसे ही पत्थर ने मूर्तिकार ने कहा कि ‘मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा हैं जो तुम मुझे हथौड़े से पीट रहे हो।’ प्लीज मुझे छोड़ दो।
मूर्तिकार ने यह बात सुनकर पहले पत्थर को छोड़कर दूसरे पत्थर के पास गया। मूर्तिकार ने अपने औजारों से पत्थर को तरासकर मूर्ति बनाने मे लग गया। और एक अच्छी मूर्ति बना दी। मूर्ति को लेकर मूर्तिकार गांव के मन्दिर मे लेकर पहुंचा जहां उसे रखना था। मूर्ति को रखने का समय आया।
मूर्ति को रखने लगे। इतने मे गाँव वालों ने मूर्तिकार से कहा कि हमें एक पत्थर और चाहिए, जिसपर नारियल फोड़े जाएंगे।
मूर्तिकार को तुरन्त उस पत्थर का ख्याल आया जिसे वह जंगल मे छोडकर आया था। मूर्तिकार जंगल मे गया और पत्थर को ले आया। अब मूर्ति व पत्थर को एक जगह रख दिया गया। मन्दिर मे पूजा करने के लिए लोग आने लगे। सब वहां आकर मूर्ति पर फूल अर्पण करते और पास वाले पत्थर पर नारियल को मारते और फोडकर मूर्ति के उपर नारियल का पानी चढाते। यह देखकर मूर्ति के पास वाला पत्थर मूर्ति से बोला कि तुम्हारी किस्मत कितनी अच्छी है जो लोग तुम्हें पूजते हैं। और मेरी किस्मत कितनी खराब है कि सभी मुझपर जोर से नारियल मारते है। यह सुनकर मूर्ति ने पत्थर से कहा कि हम दोनो एक जगह एक जैसे ही थे।
तुम्हारी किस्मत भी अच्छी होती अगर तुम कुछ दर्द सह लेते। मगर तुमनें हथोड़े की चोट नही सही और तुम आराम से वहीं पडे रहे। और मैने लाखो चोटो को सहन किया हैं जब जाकर मेरी किस्मत ऐसी हुई कि अब लोग मुझे पूजते हैं। आराम व मुश्किलों से बचने का फल यही होता हैं।
कहानी से सीख: हमारे जीवन में छोटी छोटी मुश्किलें आती रहती है जिनसे हम बचना चाहते है। लेकिन आगे चलकर ये छोटी छोटी मुश्किलें बड़ी हो जाती हैं।
प्रेरणादायक कहानी छोटी सी (short motivational story in hindi for Success)
best motivational story in hindi: महान लोगों की जीवनियाँ अनेक प्रेरक घटनाओं से भरी होती हैं। उनमें कौन सबसे अच्छी है, नहीं कहा जा सकता। सबका अपना अपना महत्व है।
मुझे नेलसन मंडेला के जीवन से ली इस कहानी ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। नेलसन मंडेला दक्षिणी अफ़्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे। उन्होंने रंग भेद नीति के विरुद्ध एक लम्बी लड़ाई लड़ी जिसके कारण न केवल उन्हें 27 वर्ष का लम्बा समय जेल में गुज़ारना पड़ा वहाँ उनसे कोयला खदानों में काम भी करवाया जाता था।’
यह कहानी मैंने अनेकों बार पढ़ी है और वह मुझे हर बार याद दिला जाती है कि बदला लेने की भावना दोनों पक्षों का नुक़सान करती है।
नेलसन मंडेला की गाँधी जी पर अपार श्रद्धा थी वह उन्हें अपना गुरु मानते थे और उनकी विचारधारा से बहुत प्रभावित थे एवं उसे अपने जीवन में अपनाया भी।
किसी को माफ़ करने की इससे बड़ी मिसाल आपको आसानी से अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगी। सच कहा गया है कि ‘अहिंसा कमजोर लोगों का नहीं ताकतवर का हथियार होता है।
दक्षिणी अफ़्रीका का राष्ट्रपति पद सँभालने के बाद एक बार श्री नेलसन मंडेला अपने अंगरक्षक के साथ कहीं जा रहे थे और राह में एक होटल में कुछ खाने के लिए रुके। वहाँ बैठे हुए उनकी नज़र दूसरी मेज़ पर बैठे एक व्यक्ति पर पड़ी जो भोजन आने की प्रतीक्षा कर रहा था। उन्होंने अपने अंगरक्षक से निवेदन किया कि वह जाकर उस शख़्स को आकर हमारे संग खाने को निमन्त्रित कर आये। वह व्यक्ति आ तो गया परन्तु बहुत घबराया सा था। राष्ट्रपति मंडेला ने उसके लिए बढ़िया पकवान मँगवाकर खाने का आग्रह किया। सब ने देखा कि खाते हुए उस व्यक्ति के हाथ बुरी तरह काँप रहे थे और वह चुपचाप नज़रें झुकाये ही खा रहा था।
जब वह भोजन कर के चला गया तो राष्ट्रपति के अंगरक्षक ने टिप्पणी की- “शायद वह बहुत बीमार था। भोजन करते समय उसके हाथ बुरी तरह काँप रहे थे।”
इस पर नेलसन मंडेला ने राज़ खोला और कहा कि वह व्यक्ति बीमार नहीं बहुत डरा हुआ था। उसे लगा कि मैं उसके साथ वही सुलूक करूँगा जैसा जेल में वह मेरे साथ किया करता था।
उन्होंने बताया कि “मैं जब जेल में था यह वहाँ का गार्ड था। और मुझ पर भयंकर ज़ुल्म करता और जब मैं निढाल हो कर इससे पानी माँगता तो मेरे सर पर पेशाब कर देता।
अब मेरे हाथ में सत्ता है तो उसने सोचा कि शायद मैं उससे बदला लूँगा। परन्तु बदला एक ऐसी भावना है जो क़ौम को एकजुट करने की बजाये बर्बादी की ओर ढकेलती है।
गाँधी जी कहा करते थे कि ‘an eye for an eye will make the whole world blind.’ आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
मंडेला ने अपनी बात समाप्त करते हुए जो शब्द कहे वह मन में रखने वाले हैं । – उनके अनुसार कमजोर शख़्सियत वाले व्यक्ति क्षमा करने को टालते रहते हैं जब कि मज़बूत व्यक्तित्व के लोग क्षमा करने में देर नहीं करते।
ताक़त रखते हुए भी मुआफ़ कर देना सबसे मुश्किल काम है परन्तु सबसे अच्छा काम भी वही है। मुआफ़ करने का मतलब उसे गले लगाकर दोस्ती करना भी ज़रूरी नहीं, बल्कि सिर्फ़ यह याद रखना होता है कि जो ‘यातना उसने मुझे दी, वह मैंने कभी किसी को नहीं देनी है।’ राष्ट्रपति मंडेला चाहते तो उनका एक वाक्य काफ़ी था उस गार्ड को फाँसी के तख़्ते पर पहुँचाने के लिए पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।
ऐसी विचारधारा वाले लोग ही शक्ति और सम्मान के हक़दार होते हैं। (1)
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