4 बेस्ट नैतिक कहानियाँ | short story in hindi with moral
short story in hindi with moral: कुछ समय पहले तक जब इंटरनेट का युग नहीं था बच्चे रात में कहानी सुनते सुनते सो जाते थे । वह कहानी के माध्यम से कल्पना की दुनिया में सैर करते उनके पात्रों जैसा स्वयं को समझते और सीख भी मिलती कि बुरे काम करने वाले का बुरा होता है। परी की कहानी ,चालाक चोर को पकड़ने के किस्से, बड़े बड़े राजाओं की कहानी ,उनको याद रहती और उसी ढंग से सोच बनती थी।
आज न तो वह नानी दादी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी कहानी को आगली पीढ़ी तक पहुंचाती थी और न सुनने वाले बच्चे ।आज किसी हम जैसे बुढ्ढे ठेडे को वह पुरानी कहानियां याद हो तो हो नई पीढी को तो कोर्स में दी कहानी पता होगी।
मैंने ये मंच/ब्लॉग kahani.thorahatke.com इसीलिए बनाया था कि पुरानी बच्चों की कहानियां को जिंदा रखा जा सके पर उस पर मैं ही अधिक ध्यान नही दे सका । पुरानी कहानी को इस मंच पर भैज कर संकलित कर बचा सकते हैं कभी फिर दौर अवश्य आएगा।
बच्चों के मानसिक विकास में इन कहानियों का बहुत बड़ा योगदान होता है।
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वादा खिलाफी का अंजाम (a short story in hindi with moral)
सर्दी की एक रात की बात है, एक करोड़पति आदमी अपने घर के बाहर एक गरीब बुढ़ा आदमी को देखता है जो कि बिना किसी कोट और जैकेट पहने उसके घर के बाहर बैठे हुए था।
ऐसा देखकर वह उस गरीब आदमी के पास जाता है और पूछता है कि क्या आपको इतनी सर्दी में ठंड नहीं लग रही और आपने कोई जैकेट या कोट भी नहीं पहना है, तब गरीब आदमी कहता है- साहब, न ही मेरे पास कोई जैकेट है और न ही कोई कोट और अब मुझे इस तरह रहने की आदत भी हो चुकी है ।
यह सुनकर वह अमीर आदमी कहता है कि आप जरा ठहरें मैं आपके लिए एक जैकेट लेकर आता हूँ, बूढ़ा आदमी खुश हो जाता है। लेकिन घर के अंदर आते ही वह अमीर आदमी किसी काम मे व्यस्त हो जाता है और उस बुढ़े गरीब के बारे में भूल जाता है ।
अगले दिन सुबह जब वह सोकर उठता है तो अचानक उस बुढ़े गरीब के बारे मे याद आता है और जब वह अपने घर का दरवाजा खोलकर देखता है तब वह बुढ़ा आदमी उसके घर के बाहर मरा पड़ा होता है, और उस गरीब के हाथ में एक चिठ्ठी मिलती है जिसमें लिखा होता है कि जब मेरे पास पहनने के लिए कोई गरम कपड़ा नहीं था तब मुझे ठंड से लड़ने की शक्ति थी और बिना गरम कपड़ों के रहने की आदत हो गई थी लेकिन जब आपने मुझे गरम जैकेट देने की बात की तब से मैं आपके द्वारा किए गए वादे से अपने आपको जोड़ लिया अब पहले जैसी शक्ति नहीं रही, अब मुझे ठंड भी लगने लगी है।
बहुत देर तक मैंने आपका इंतजार किया अब ठंड बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ……..
बस इतना ही लिखा था उस चिठ्ठी में, उसके बाद उस गरीब की जान निकल गई।
सीख :- कभी भी आप किसी से वादा न करें अगर आप सही समय पर निभा नहीं सकें, आपके लिए सायद कोई बात नहीं पर हो सकता है कि आपका किया गया वादा किसी के लिए सब कुछ हो।
सूझबूझ के फायदे (short story in hindi with moral value)
एक आदमी अपने लिए जूता खरीदने के लिए एक अच्छी सी जूते की दुकान में पहुंचता है, वहाँ वह अपने मनपसंद से एक जोड़ी जूता खरीदता है लेकिन जब वह पेमेंट के लिए दुकानदार के पास पहुंचता है तब वह देखता है कि उसके पाॅकेट में बटुआ नहीं है।
वह दुकानदार से कहता है कि मैं अपना बटुआ यानी पर्स अपने घर में ही भूल गया, क्या आप मुझे यह जूते उधार दे सकते हैं? कल याद से मैं आपको इस जूते के पैसे दे दूंगा ।
अब दुकानदार सोच में पड़ जाता है कि क्या करूँ? दुकानदार जूते भी बेचना चाहता है और ग्राहक को खोना भी नहीं चाहता , थोड़ा सोच समझकर वह उस आदमी को जूते उधार में दे देता है ।
अगले ही दिन वह आदमी सुबह-सुबह उस जूते की दुकान में पहुंच जाता है और कहता है कि आपने गलती से मुझे एक जूता 7 नम्बर और दूसरा 6 नम्बर का दे दिया, इस बार वह पैसे लेकर आता है और पैसे देकर सही साईज का जूता लेकर चला जाता है । लेकिन क्या आपको पता है कि दुकानदार ने जानबूझकर उस आदमी को अलग अलग साईज के जूते दिए थे ताकि वह दोबारा जूते बदलने के लिए उसके दुकान पर वापस भी आए और पैसे भी मिल जाए ।
इस तरह दुकानदार ने अपनी सूझबूझ से जूते की बिक्री भी कर दी और ग्राहक को उधार देकर ग्राहक खोने से भी बचा लिया ।
गधे का मालिक गधा (very short story in hindi with moral)
एक मूर्ख आदमी दूर किसी गाँव से कुछ गधे खरीदने गया। उसने वहां से 5 गधे खरीदे। और फिर उनको गिना- एक , दो, तीन, चार, और पांच। वह सभी गधे को लेकर वापस अपने गाँव आ ही रहा था कि कुछ दूर चलने पर उसने सोचा, मुझे दुबारा गधों को गिनना चाहिए।
वो पीछे मुड़ा और फिर से गिनना शुरू किया।
एक,दो, तीन और चार!!
चार !! एक गायब है?
मूर्ख होने के कारण उसने वो गधा तो गिना ही नही जिस पर वो खुद बैठा था।
वो अपने गधे पर से नीचे उतरा और पेड़ो और पत्थरों के पीछे देखने लगा। लेकिन वहां उसे अपना खोया हुआ गधा नही मिला।
उसने फिर से अपने गधों को गिना, एक, दो, तीन,चार और पांच।
उसने एक गधे पर डंडा मारा और कहा, ओह! तुम वापस आ गए। मूर्ख आदमी फिर वहाँ से चलने लगा।
रास्ते में, उसने दुबारा अपने गधों को गिना। फिर से उसे पाँच की जगह चार गधे ही दिखे ।
उसने चारो ओर देखा यहां वहां ढूंढा। लेकिन वहां गधा नही मिला। वो गधे के उपर से नीचे उतरा और उसने फिर से गिना और इस बार उसने पूरे पाँच गधे पाए। उसने एक गधे से पूछा, तुम कहां चले जाते हो बार बार!?
दुबारा उसने एक गधे पर डंडा मारा।
उसने देखा की उसका एक दोस्त अपने ऊंट पर बैठ कर उसके पास से गुजर रहा है। उसने उसे अपने पास बुलाया, और कहा दोस्त क्या तुम मेरी मदद करोगे!??
उसका दोस्त रुका। मूर्ख आदमी ने उसे बताया की कैसे उसने अपने एक गधे को पहले खोया और फिर वो उसे मिल भी गया। क्या तुम इन गधों को गिनने में मेरी मदद करोगे?? मूर्ख आदमी ने विनती की।
उसके दोस्त ने गिना और कहा, मै यहां 6 गधे देख रहा हूँ ।
क्या!! मूर्ख आदमी हैरान हो गया। छठा गधा कहां से आया?? उसने पूछा।
चार गधे पाँचवाँ गधे के पीछे चल रहे हैं और पाँचवाँ गधा छठे गधे पर सवार है।
मूर्ख आदमी कुछ न समझ सका की उसके दोस्त ने क्या कहा। वो गधे से नीचे उतरा और दुबारा गिनना शुरू किया पर उसे वहां पर छठा गधा नही मिला।
एक दिन कौए ने सोचा, ‘वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नही, अगर इनका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा। एकाएक झपट्टा मारकर पकड़ लूंगा’।
दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी। फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा। अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता।
खरगोश ने उसे देख लिया और वह झट से वहां से भागकर एक चट्टान के पीछे छिप गया।
कौआ अपनी ही झोंक मे उस चट्टान से जा टकराया। नतीजा, उसकी चोंच और गरदन टूट गईं और उसने तड़पकर दम तोड़ दिया।
कहानी से शिक्षा – नकल करने के लिए भी अकल की ज़रूरत होती है।
किसी को जाने बिना आँको मत (चिल्ड्रन स्टोरी इन हिंदी)
एक सर्दी के दिन, एक जंगली गधा इधर-उधर भटक रहा था। अचानक वह जंगल के किनारे पर आया, जहां उसने देखा कि एक गधा तेज धूप में जमीन पर आराम से लेटा हुआ है। ऐसा देखकर जंगली गधे को उससे बहुत ईर्ष्या यानी जलन हुई।
जंगली गधा उस गधे के पास गया और कहा, “तुम कितने भाग्यशाली हो! तुम्हारी चिकनी त्वचा दिखाती है कि तुम कितनी अच्छी तरह जीते हो।” इतना कहकर जंगली गधा वहां से चला गया लेकिन फिर भी उस गधे के बारे में सोचता रहा।
कुछ दिनों के बाद वह फिर से उस गधे को देखने आया। लेकिन इस बार गधे की पीठ पर भारी बोझ था। उसका मालिक हाथ में लाठी लिए उसका पीछा कर रहा था और उसे स्थिर गति से चलाने के लिए गधे को मार रहा था।
यह देखकर जंगली गधे ने खुद से कहा, “कितना अफ़सोस है। मैं अब उससे ईर्ष्या ( जलन ) नहीं करूँगा । मुझे नहीं पता था कि वह इतना दयनीय जीवन जीता है और इस कीमत पर उसे इतना आराम मिलता है।”
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