सितारा परी की कहानी | Pariyon Ki Kahani Hindi Me
Sitara Pari- (pariyon ki kahani hindi mai)
Pari ki kahani: नन्ही सितारा एक दिन अपनी गुड़ियों के लिए चाय बना रही थी कि अचानक उसके घर के दरवाज़े पर किसी के आने की आहट हुई। शीला ने सोचा कि उसकी कोई सहेली उससे मिलने आई है। लेकिन जब उसने दरवाजा खोला तो देखा कि एक औरत अपने तीन बच्चों को गोद में लिए खड़ी है।
उस औरत के बाजू के साथ सात रंग के सुन्दर पर भी लगे थे और माथे पर एक सितारा जगमगा रहा था और वस्त्र तो ऐसा था जैसे तितली के परों का बना हो।
शीला इसे मुस्कुराता देख कर कहने लगी। “सुन्दर औरत तुम कौन हो?”
औरत बोली “मैं हूं सितारा परी।”
शीला ने पूछा- “तुम्हे मुझ से क्या काम है?”
सितारा परी बोली- “ज़रा मुझे अपने घर में प्रवेश करने की अनुमति दो।”
शीला कहने लगी “घर में प्रवेश होकर क्या करोगी?”
सितारा परी बोली “अपने बच्चों को तुम्हारे स्नानघर में नहाऊंगी।”
शीला ने जवाब दिया “ठीक है नहा लो”
अब परी अपने बाल बच्चों को नहाने लगी और शीला अपनी सुन्दर मेहमान के लिए दौड़ कर बाज़ार से बिस्किट लेने चली गई। वापस आई तो उसने देखा कि उसकी सुंदर अतिथि गायब है। लेकिन स्नानघर खुशबुओं से महक रहा है।
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शीला ने आश्चर्य से स्नान घर में इधर उधर नज़र दौड़ाई तो देखा कि परी अपना एक सुंदर दस्ताना अलगनी पर भूल गई है, दस्ताना प्यारा था। उसे देखते ही शीला के मुंह से मारे खुशी के एक चिंख निकल गई। उसने दौड़ कर उसे पहन लिया। दस्ताना पहनते ही वह एक अलग ही दुनिया में पहुंच गई।
उसने देखा कि वह बलाई के एक पहाड़ पर खड़ी है। जिससे दूध की नदियां नीचे को बह रही हैं। पहाड़ पर चांदी के छोटे-छोटे चमचे भी बिखरे थे। शीला ने एक चमचा उठा लिया और बालाई के पहाड़ों के स्वादिष्ट चोटियां खाने लगी। बालाई खाने के बाद उसे प्यास महसूस हुई तो वह नीचे उतर आई।
दूध की नदियों के किनारे मिश्री के कटोरे रखे थे। एक कटोरा नदी के के दूध से भरकर उस ने पिया और फ़िर वह आगे बढ़ी। हर तरफ वृक्ष ही वृक्ष नज़र आ रहे थे। जिनमें रंग बिरंगे शरबत के फव्वारे नाच रहे थे। फव्वारों के हौज़ के किनारों पर जमुर्रद के छोटे छोटे ग्लास रखे थे।
उसने एक फव्वारे से शरबत का एक गिलास पिया। फिर दूसरे फव्वारे से फिर तीसरे फव्वारे से क्योंकि हर फव्वारे के शरबत का मज़ा नया था। उसके बाद शीला ने गौर से बगीचे को देखना शुरू किया। मालूम हुआ कि उसमें चहकने वाले पंछी भी मिठाई के हैं।
एक कोयल और एक बुलबुल शीला ने पकड़कर खाई। और फिर आगे बढ़ी। आगे एक बड़ा सुंदर बाजार आ गया। जिसमें हर तरफ परियां ही परियां नजर आती थी। शीला इनमें जा घुसी और बाज़ार का तमाशा देखने लगी। दुकानों पर बड़ी-बड़ी अजीब चीजें बिक रही थी। रंग बिरंगे फूल तितलियां, सितारे, मोती, कुल से उड़ने वाले पंछी, गुलदान मरबे, जाम, चॉकलेट और तरह-तरह के खिलौने।
परियों की दुनिया
एकाएक शीला को सितारा परी अपने बच्चों के साथ एक दुकान पर खड़ी नज़र आई। वह अपने बच्चों के लिए एक दुकान से नरगिस के फूल चुरा रही थी।
शीला चिल्ला कर बोली सितारा परी दुकानदार के फूल क्यों चुरा रही हो।
सितारा परी ने मुड़कर उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोला शीला मेरे करीब आओ।
जब शीला उसके पास आई तो सितारे परी ने उसके आंखों पर अपने नरम नरम हाथ रख दिए। और बोली शीला जो कुछ तुम देख रही हो ना देखो, जो कुछ सोच रही हो ना सोचो, जो कुछ देख चुकी हो उसे भूल जाओ।
उसके बाद सितारा परी ने ज़ोर से एक खूबसूरत कहकहा लगाया और अपने नरम नरम हाथ शीला की आंखों से हटा लिया।
शीला डर गई उसने चारों तरफ आंखें फाड़ फाड़ कर देखना शुरू किया। अब वहां कुछ भी ना था वह अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसके भैया का सफेद मुर्गा कुकड़ू कू कुकड़ू कु कर रहा था। के आसमान पर सुबह का सितारा उसकी तरफ देख देख कर शरारत से मुस्कुरा रहा था। (1)
By– राजा मेहदी अली खान
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